बिहार में हो रही सियासी हलचलों के बीच दिल्ली में चिराग पासवान ने बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाक़ात की है. बिहार से ऐसी ख़बरें आ रही हैं कि नीतीश कुमार अपना सियासी पाला बदल सकते हैं.
हालांकि इस बारे में औपचारिक या स्पष्ट तौर पर कोई बयान नहीं दिया गया है. न ही जेडीयू और बीजेपी नेताओं की तरफ से ऐसी अटकलों को ख़ारिज किया है.
ऐसे में जब शनिवार को चिराग पासवान शाह और नड्डा से मिलने पहुंचे तो पत्रकारों ने उनसे सवाल किया.
चिराग पासवान ने पत्रकारों से कहा, ”देखिए हम सब जानना चाह रहे हैं कि बिहार में का बा? थोड़ी देर में पता चल जाएगा. कुछ वक़्त की बात है.”
शुक्रवार को भी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता चिराग पासवान ने कहा था, ”बदलती परिस्थितियों पर हमने नज़र रखी हुई है. कयास बहुत लगाए जा रहे हैं. ऐसे में किसी सवाल का जवाब देना अभी सही नहीं होगा. एक बार स्थिति साफ हो जाए गठबंधन, नई पुरानी सरकारों को लेकर, उसके बाद ही हम अपनी पार्टी का रुख साफ करेंगे.”
चिराग बोले थे, ”मौजूदा हालात में 40 की 40 सीटें बिहार में एनडीए जीत सकती है. मुझे नहीं पता कि ऐसे हालात में नीतीश जी गठबंधन का हिस्सा बनते हैं या नहीं. काफी अलग तरह की जानकारियां, अफवाहें, संभावनाएं तैयार हो रही हैं. कुछ वक्त की बात है, उसके बाद तस्वीर साफ हो जाएगी.”
असल में बिहार में अगर नीतीश कुमार एनडीए में आते हैं तो उनकी मांग पिछले लोकसभा चुनाव की तरह 17 सीटों की हो सकती है. इतनी ही सीटों पर बीजेपी भी लड़ी थी जबकि एलजेपी को 6 सीटें दी गयी थीं.
इस बार बिहार की 40 सीटों में एचयूएम के जीतनराम मांझी, आरएलजेडी के उपेंद्र कुशवाहा और राष्ट्रीय लोक जन शक्ति पार्टी यानी पशुपति कुमार पारस को भी सीट देनी है.
छोटे दलों की यह चिंता भी हो सकती है कि नीतीश की वापसी की उनको कितनी कीमत चुकानी पड़ेगी.
पशुपति पारस ख़ुद को असली एलजेपी बताते हैं और बँटवारे के बाद 6 में से 5 सांसद उनके साथ हैं, जबकि चिराग पासवान भी 6 सीट मांगते रहे हैं.
2014 के चुनाव में कुशवाहा को 3 सीटें BJP ने दी थी. मांझी भी एक से ज़्यादा सीट का दावा करते रहे हैं.
-एजेंसी