सांसद राजकुमार बोले, किसी मनोज यादव को नहीं जानता, आरोप साबित हो जाएं तो राजनीति से संन्यास ले लूंगा, मैं व्यक्ति विशेष के खिलाफ नहीं, लेकिन पीड़ित के साथ

Politics उत्तर प्रदेश दिल्ली/ NCR स्थानीय समाचार
आगरा, 16 जनवरी। थाना जगदीशपुरा क्षेत्र की करोड़ों रुपये की भूमि विवाद में पहले दिन से पीड़ित चौकीदार के परिवार के पक्ष में खड़े दिखाई दिए फतेहपुरसीकरी के सांसद और भाजपा किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजकुमार चाहर ने मंगलवार को प्रेस वार्ता कर अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि वह किसी व्यक्ति विशेष के खिलाफ न होकर न्याय के साथ खड़े हैं और चाहते हैं कि पीड़ितों के साथ इंसाफ होना चाहिए। उन्होंने उम्मीद जाहिर की कि विशेष जांच टीम सही तथ्यों को खोजेगी और नए पुलिस कमिश्नर दूध का दूध और पानी का पानी कराने में सफल होंगे।
प्रतापपुरा स्थित पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाउस में पत्रकारों से वार्ता करते हुए उन्होंने प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री योगेंद्र उपाध्याय की ओर से लगाए गए आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि एक दैनिक समाचार पत्र में खबर पढ़कर पीड़ित की मदद के लिए वह आगे आए थे, उन्हें पता नहीं था कि इस विवाद में कौन लोग हो सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि उन पर आरोप लगाए गए हैं कि सैफई के सपा परिवार से जुड़े मनोज यादव से उनके तार जुड़े हैं और दोनों ने मिलकर साजिश रची है तो यह सरासर गलत है। वह किसी मनोज यादव नाम के व्यक्ति को न तो जानते हैं और न आज तक मिले हैं। उन्होंने जांच एजेंसियों से इस मामले की जांच करने की बात कही और दो-टूक शब्दों में कहा कि अगर उनकी तनिक भी इसमें संबद्धता नजर आएगी तो वह अपने राजनैतिक जीवन से संन्यास ले लेंगे।
उन्होंने यह भी कहा कि वह माननीय जनप्रतिनिधि की ओर से दी गई इस चुनौती को भी स्वीकार करते हैं कि विवादित जमीन की पूरी जांच होनी चाहिए और दूध का दूध, पानी का पानी हो जाना चाहिए।

राजकुमार चाहर ने कहा कि उनकी पृष्ठभूमि साधारण परिवार की रही है और उनके पिता रेलवे में चौकीदार थे इसलिए एक चौकीदार की पीड़ा का उन्हें अहसास हुआ और वे और उनका परिवार पीड़ित चौकीदार से मिलने गए और उसके लिए न्याय की मांग की थी। कुल मिलाकर सांसद राजकुमार चाहर ने यह संदेश देने का प्रयास किया कि वह अपनी ही पार्टी के कैबिनेट मंत्री के खिलाफ नहीं हैं, बल्कि उन्होंने पीड़ित को न्याय दिए जाने की मांग की और इसके लिए मुख्यमंत्री तक को पत्र लिखे। उन्होंने कहा, “मुझे यह भी नहीं मालूम है कि मामले में कौन लोग शामिल हैं। कमल चौधरी को मैं ऐसे ही जानता हूं जैसे आप या अन्य लोग जानते हैं। मेरा उद्देश्य पीड़ित व्यक्ति के साथ चट्टान की तरह खड़ा होना और उसे न्याय दिलाना है। इसमें किसी तरह की राजनीति और दुर्भावना मेरे अंदर नहीं है।”
उन्होंने कहा कि चौकीदार रवि कुशवाह को पहले से वह नहीं जानते थे। जब उन्हें निर्दोष लोगों को जमीन प्रकरण में जेल भेजे जाने की जानकारी हुई तो न्याय दिलाने के लिए आगे आये। जमीन प्रकरण से कोई लेना-देना नहीं है। जिसकी जमीन है वह उसे कंधे पर उठा कर ले जाए। मेरा बस एक ही उद्देश्य था पीड़ित को न्याय दिलाना। तत्कालीन कमिश्नर, मुख्यमंत्री और गृह सचिव तक से इस मामले में पीड़ित पक्ष की पैरवी की। अगर किसी पीड़ित को न्याय दिलाने में कोई मुझ पर उंगली उठाता है तो उसकी कोई गलत मंशा रही होगी।

चाहर ने प्रदेश के कैबिनेट मंत्री योगेंद्र उपाध्याय के इस आरोप को भी नकार दिया कि उन्हें (चाहर को) उपाध्याय या उनके पुत्र के उनके निर्वाचन क्षेत्र में सक्रिय होने से परेशानी है और कहा कि कोई भी कहीं भी काम करने के लिए स्वतंत्र है। वे स्वयं भी सांसद होने के नाते किसी भी क्षेत्र के पीड़ित की आवाज उठा सकते हैं। फतेहपुर सीकरी सीट पर विवाद के मामले में उनका कहना था कि कौन कहां क्या भूमिका निभाएगा, हमारे यहां पार्टी तय करती है। किसी के फतेहपुरसीकरी में आने-जाने से मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता।

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