आगरा, 2 सितंबर। सिंधी समाज की महिलाओं ने आज टीजरी (करवाचौथ) का त्योहार मनाया। यह त्योहार सावन महीने की कृष्ण पक्ष की तीसरी तारीख को अर्थात राखी के तीसरे दिन एवं श्री कृष्ण जन्माष्टमी से पांच दिन पूर्व मनाया जाता है।परंपरा रूप से टीजरी व्रत तीज तिथि “तृतीया” को होता है, यह तीसरे दिन भादों बड़ी बद्दो वादी उन्हाई में मनाया जाता है। ये जानकारी मीडिया प्रभारी मेघराज दियालानी ने दी। इस त्योहार में सुहागिन महिलाएँ दिन भर का उपवास रखा टीजडी माता से परिवार में सुख समृद्धि ओर पति की दीर्घ आयु की कामना करती हैं। सूर्य उदय से पहले मिठाई एवं फल खाकर , दोनो हाथो में मेहंदी रचाकर निर्जला व्रत का आरंभ करती हैं। फिर दिन के समय सोलह सिंगार कर तैयार होकर सात अन्र से बनी खेत्री माता को हिंडोले में झुला कर, फल वं शरबत का भोग देती है। शाम को श्री गिरधर गोपाल मंदिर और पूजा भण्डार बल्केश्वर मंदिर में पंडित बंटी महाराज ने महिलाओं को पूजा अर्चना कराई । इस दौरान काफी संख्या में महिलाएं उपस्थित थीं। जिनमें प्रमुख रूप से पूजा शर्मा, भाविका दियालानी, कांता दादलानी,रश्मि बुधरानी, सिद्धदी आयलनी, मीतू दियालानी, वर्षा कुकरेजा, शोभा सोनी,रजनी नवलानी मौजूद रहीं। उसके उपरांत सूरज डूबने के बाद सभी महिलायें एक साथ बैठकर टीजणी माता की कथा पढ़ती हैं एवं मंगल गीत गाती हैं , रात को चंद्रमा निकलने के बाद अर्घ्य देकर व्रत पूरा करती हैं।