अगले एशियन गेम्स तक यूपी से इंटरनेशनल एथलीट जरूर निकालेंगेः लक्ष्मण पुरस्कार विजेता राधेश्याम सिंह

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जुलाई 2024 में होने वाले पेरिस ओलंपिक में भारत के एथलीट तीन-चार पदक जरूर जीतेंगे, जेबलिन थ्रो में नीरज के अलावा अन्य एथलीटों से पदक की पूरी आस

यूपी के छात्रावासों से बेहतर एथलीट निकलने की उम्मीद, कोचों को भी खिलाड़ियों के साथ मेहनत करने की जरूरत

सरकार के प्रयासों में कोई कसर नहीं, एक दर्जन  पूर्व अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों को दी गयी खिलाड़ियों को तराशने की जिम्मेदारी

एल एस बघेल, आगरा 10 अप्रैल। अगले एशियन गेम्स तक यूपी से इंटरनेशनल एथलीट जरूर निकालेंगे। ये कहना है लक्ष्मण पुरस्कार विजेता राधेश्याम सिंह का। वे यहां एकलव्य स्टेडियम में सेंट्रल कोचिंग केंप में उत्तर प्रदेश के खिलाड़ियों को कोचिंग देने आये हैं।  इस कैंप में पूरे प्रदेश के 55 खिलाड़ियों को कोचिंग दी जा रही है। जिनमें 40 बालक और 15 बालिकाएं शामिल हैं। अगले एशियन गेम्स 2026 में नगोया, जापान में प्रस्तावित हैं।
67 वर्षीय प्रयागराज निवासी राधेश्याम प्रसिद्ध खिलाड़ी पीटीऊषा के समय के एथलीट रहे हैं। 1986 के सियोल एशियन गेम्स में हेमरथ्रो में उन्होंने हिस्सा लिया था। हालांकि इसमं उनको कोई पदक नहीं हासिल हुआ था। इसके पश्चात सिंगापुर ट्रैक एंड फील्ड में भाग लिया। इसमें पांचवा स्थान रहा। 1985 में नेशनल में राष्ट्रीय रिकार्ड बनाया। आल इंडिया सर्विसेज में रिकार्ड बनाया। वर्ल्ड परमिट मीट में खेले। वर्ष 1980 से 90 तक हेमरथ्रो के नेशनल लेबिल पर पदक जीतते रहे। सेना की नौकरी से रिटाटर होने के पश्चात खेल निदेशालय उत्तर प्रदेश के चौक स्टेडियम में 21 साल तक तदर्थ कोच रहे। 12 सितंबर 2023 से यूपी के एथलेटिक्स कोच बने हैं। इसमें सरकार द्वारा उन्हें डेढ़ लाख रुपये महीने दिये जा रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार खिलाड़ियों के लिये अच्छे प्रयास कर रही है। अब जिम्मेदारी कोच और खिलाड़ियों की है। उनका कहना है कि सरकार ने यूपी में एक दर्जन पूर्व अंतरराष्ट्रीय खिलाडि़यों को विभिन्न खेलों में कोच नियुक्त किया है।

खिलाड़ी मेहनत करेगा तो खुराक भी  अच्छी होनी चाहिए

जब खिलाड़ी 7-8 घंटे मैदान पर मेहनत करेगा तो उसको खाने के लिये भी अच्छा चाहिए। श्री राधेश्याम साफगोई से स्वीकारते हैं कि गरीब बच्चों के लिये इतनी अच्छी खुराक घर पर संभव नहीं है। इसलिये हास्टल में रहने वाले खिलाड़ियों से अधिक उम्मीद है कि वे प्रदेश और देश का नाम रोशन करें। उनका कहना है कि खिलाड़ियों को डायट के रूप में 450 रुपये रोज मिल रहे हैं। इसलिये ये नहीं कह सकते कि सरकार के स्तर से प्रयास नहीं किये जा रहे हैं। श्री राधेश्याम का कहना है कि आजकल के बच्चे उतनी मेहनत नहीं करते जितनी हमारे जमाने में खिलाड़ी मेहनत किया करते थे। आजकल के खिलाड़ियों से जबर्दस्ती मेहनत करानी पड़ती है। हालांकि उनको उम्मीद है कि अगले एशियाई खेलों तक यूपी से अच्छे खिलाड़ी जरूर निकालेंगे। उनका कहना है कि अगर हम ये भी नहीं कर पाये तो फिर हमारी मेहनत भी बेकार है। 2026 तक नेशनल और इंटरनेशनल एथलीट यूपी से जरूर निकालेंगे। श्री सिंह का कहना है कि हेमर थ्रो, सौ मीटर दौड़  में लड़कों के साथ ही लड़कियां भी अच्छा प्रदर्शन कर रही है।

बेटा भी हेमरथ्रो का नेशनल प्लेयर

श्री राधेस्याम सिंह का पुत्र कौैशल सिंह भी हेमरथ्रो का नेशनल प्लेयर है। वह भारतीय नेवी में कार्यरत है। इनदिनों देहरादून में इंडिया कैंप में है। कौशल उनके पुत्र के साथ ही ट्रेनी भी है। उसको वे लगातार प्रशिक्षण दे रहे हैं। वह एशियन ट्रैक एंड फील्ड में भी खेला है।

पेरिस ओलंपिक में एथलीटों से तीन-चार पदकों की उम्मीद

आगामी 26 जुलाई से 11 अगस्त 2024 तक पेरिस में होने वाले ओलंपिक खेलों में भारतीय एथलीटों से कम से कम तीन-चार पदकों की उम्मीद है। जेबलिन थ्रो में नीरजचौपड़़ा के अलावा दो खिलाड़ी और श्रेष्ठ प्रदर्श कर रहे हैं। वे ओलंपिक के लिये क्वालीफाई भी कर चुके हैं। इसके अलावा पांच हजार और दस हजार मीटर दौड़ में भारतीय एथलीटों से पदक की पूरी उम्मीद है।

यूपी के खिलाड़ियों में दम तो है

वेटरन कोच राधेश्याम सिंह का कहना है कि यूपी के खिलाड़ियों में दम तो है। उन्हें तराशने की जरूरत है। बच्चों के साथ कोचों को भी मेहनत करनी पड़ेगी। तभी अच्छे रिजल्ट आएंगे। वैसे अगले एशियन गेम्स तक उन्हें यूपी से अच्छे एथलीट निकलने की उम्मीद है।

पंद्रह दिन का कोचिंग केम्प आगरा में

आगरा के एकलव्य स्टेडियम में एथलेटिक्स के अलावा कबड्डी और जिमनास्टिक के सेंट्रल कोचिंग केंप चल रहे हैं। एथलेटिक्स में  मुख्य कोच देवीप्रसाद यादव  प्रयागराज से हैं। इनके अलावा अनीता नागर गौतमबुद्धनगर से आयी हैं। इसी तरह जिमनास्टक में अरविंद यादव मुख्य कोच हैं। श्रीराधेश्याम सिंह बताते हैं कि कोचिंग कैंप में 55 एथलीट हैं। जिनको रोजाना सुबह और शाम तीन से चार घंटे  तक हर शिफ्ट में मेहनत करायी जाती है। इसके पश्चाच चयन समिति आएगी, जो कि 12-13 बालिका और 14-15 बालकों का चयन करेगी। जिनको नेशनल लेबिल के लिये प्रशिक्षण दिया जाएगा।  संभवतः 16 अप्रैल तक ये शिविर समाप्त हो जाएंगे।

 

 

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