लोकनृत्य और संगीत का दिखा अनूठा संगम, मंगलाचरण रहा मुख्य आकर्षण, रीला होता की नृत्यशैली से श्रद्धालु हुए भावविभोर

Religion/ Spirituality/ Culture उत्तर प्रदेश

प्रयागराज, 25 जनवरी। सुरमई शाम के साथ मृदंग, बांसुरी और वीणा पर शास्त्रीय नृत्य ओडिसी और लोकनृत्यों से कलाग्राम के सांस्कृतिक कार्यक्रमों में इंद्रधनुषी रंग बिखरे। शनिवार को लोक और शास्त्र के भाव नृत्य प्रस्तुतियों से संजोए गए तो अवधी लोकगीतों के सुरों से संगम की शाम निखर उठी।संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार की ओर से आयोजित सांस्कृतिक कुंभ की सांस्कृतिक संध्या में ओडिशी नृत्य की थिरकन पर लोग भाव विभोर हुए तो लोकनृत्य की बहुरंगी प्रस्तुतियों ने दर्शकों का मन मोह लिया। प्रख्यात ओडिसी नृत्यांगना रीला होता ने अपनी भावभंगिमा और कला से दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया। उनकी प्रस्तुति का मुख्य आकर्षण मंगलाचरण रहा जो अग्नि,जल और जीवन के प्रमुख पालनहारों को समर्पित वैदिक भजनों तथा वेदों ने संतान की गुणवत्ता को आकार देने में एक महिला की भावनाओं की भूमिका पर आधारित था। स्वागतिका साहू, किरण माझी, शोभना सुभद्राशिनी और स्वाति स्वप्नाली बेहरा ने इस नृत्य शैली में रीला होता का साथ दिया।

लोकनृत्यों की कड़ी में राजस्थान का चरी नृत्य, गोवा का समई-देखणी नृत्य, छत्तीसगढ़ का गेंडी नृत्य, झारखंड का नटुआ नृत्य, गुजराज का डांगी नृत्य, केरल का थेय्यम नृत्य, असम का डोमाही किकन नृत्य, पंजाब का भांगडा नृत्य तथा संगीता आहूजा ने राम भजन श्री राम चंद्र कृपालु भजमन तथा राघव जी के गउवा बड़ा नीक लागे गीत पर नृत्य की प्रस्तुति देकर दर्शकों से खूब तालियां बटोरी।
कलाग्राम में दूर-दराज क्षेत्रों से आने वाले तीर्थयात्री देश की विविधामय सांस्कृतिक झांकी देख आनंदित हो रहे हैं और तालियों की गड़गड़ाहट के साथ कलाकारों का हौसला भी बढ़ा रहे हैं। कार्यक्रम का संचालन संजय पुरषार्थी ने किया।

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