ताजनगरी आगरा में ‘गैस अलाव’ की पहल बनी प्रदेश का रोल मॉडल

उत्तर प्रदेश

अभी तक तमाम जिलों में लकड़ी से जलाये जा रहे हैं अलाव जो बन रहे हैं वायु प्रदूषण के कारक

प्रदेश में आगरा की पहल को मिल रही सराहना, अन्य जिलों के लिए भी आगरा की तर्ज पर बनेगी कार्य योजना

आगरा। शीतल लहर के दौरान आमजन को ठंड से बचाने के लिए आगरा नगर निगम द्वारा शुरू की गई “गैस आधारित अलाव” व्यवस्था अब अन्य जिलों के लिए मिसाल बनने जा रही है। उत्तर प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (यूएसडीएमए) की परियोजना निदेशक प्रियंका द्विवेदी ने बुधवार को नगर निगम में हुई बैठक में आगरा की इस अभिनव पहल की प्रशंसा की और इसे प्रदेशभर में लागू करने की दिशा में कार्ययोजना तैयार करने पर बल दिया।

बैठक में उन्होंने कहा कि परंपरागत लकड़ी से जलाए जाने वाले अलाव से जहां वायु प्रदूषण बढ़ता है, वहीं आगरा द्वारा अपनाई गई एलपीजी गैस आधारित अलाव प्रणाली पर्यावरण के अनुकूल और अधिक सुरक्षित है। उन्होंने कहा कि आगरा का यह मॉडल अन्य जिलों में भी शीतलहर प्रबंधन की दिशा में बदलाव ला सकता है।

—-शेल्टर होम व्यवस्था की भी सराहना—

बैठक के दौरान परियोजना निदेशक प्रियंका द्विवेदी ने अपर नगर आयुक्त शिशिर कुमार से शीतलहर के दौरान नगर निगम द्वारा शेल्टर होम में की जाने वाली व्यवस्थाओं की भी विस्तार से जानकारी ली। उन्होंने कहा कि आपदा के समय शेल्टर होम की व्यवस्थाएं जीवन रक्षक भूमिका निभाती हैं और आगरा इस दिशा में भी बेहतर कार्य कर रहा है।

—-नगर निगम की कार्ययोजना जल्द—–

बैठक में यह तय किया गया कि आगामी शीतलहर से पहले नगर निगम एक स्पष्ट कार्ययोजना तैयार करेगा जिसमें गैस आधारित अलावों की संख्या, स्थानों का निर्धारण, संचालन की व्यवस्था और सार्वजनिक जागरूकता अभियान शामिल होंगे।

— नगर आयुक्त अंकित खंडेलवाल का वर्जन—-

” हमने ठंड के मौसम में पहली बार गैस आधारित अलाव की शुरुआत की थी जो बेहद सफल रही। इससे न केवल लोगों को राहत मिली, बल्कि प्रदूषण भी नियंत्रित रहा। इस वर्ष इसे और बेहतर बनाकर ज्यादा से ज्यादा स्थानों पर स्थापित किया जाएगा।”

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