120 करोड़ की लागत से खुलेगा अनुसंधान केंद्र , चीन के बाद दक्षिण एशिया में पेरू का पहला सेंटर होगा , आगरा मंडल में प्रदेश का 27 प्रतिशत आलू उत्पादन होता है
ताजमहल के शहर की सीमा से लगे अन्य प्रदेशों यथा राजस्थान, मध्यप्रदेश एवं हरियाणा के कृषक भी लाभान्वित होंगे
आगरा, 9 जुलाई। वर्षों की तपस्या और मेहनत का फल है, जिससे आगरा के सींगना में पेरू के अंतरराष्ट्रीय आलू अनुसंधान केंद्र को मंजूरी मिली है। इसके जल्द ही खुलने की संभावना है। इसके लिये काफी पहले से प्रयास किये जा रहे थे, तब जाकर मंजूरी मिल पायी है। इसके लिये स्थानीय स्तर से लेकर लखनऊ और दिल्ली तक अथक प्रयास किये गये। तब जाकर आलू के जनक पेरू के अंतरराष्ट्रीय अनुसंधान केंद्र को मंजूरी मिली है। कई बार केंद्र और राज्य सरकार की टीमों ने निरीक्षण किया। तमाम आपत्तियां आयीं। लेकिन आखिर में सफलता मिल ही गयी। वैसे यह अनुसंधान केंद्र खुल जाएगा तो यहां के आलू किसानों के लिये वरदान साबित होगा। पेरू के अंतरराष्ट्रीय ालू अनुसंधान केंद्र के संबंध में वरिष्ठ पत्रकार राजीव सक्सेना और लाखन सिंह बघेल की उपनिदेशक उद्यान कौशल कुमार से विस्तार से बातचीत हुई। वे इसे अपने आगरा कार्यकाल की महत्वपूर्ण उपलब्धि मानते हैं। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधियों का भी इस मामले में पूरा सहयोग रहा है। तभी जाकर सफलता मिल पायी है।
आगरा जिला ही नहीं पूरा मंडल आलू उत्पादन का एक बड़ा क्षेत्र है। उत्तर प्रदेश का 27 फीसदी आलू आगरा मंडल में पैदा होता है। हालांकि आलू किसानों को उनकी फसल का उचित लाभ नहीं मिल पाता। इसलिए कई बार किसान इसको लेकर आंदोलन भी करते रहते हैं। आलू किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य मिले। इसके लिये उद्यान विभाग द्वारा पिछले चार साल से अथक प्रयास किये जा रहे हैं। जिनका अब कुछ लाभ मिलता नजर आ रहा है। आलू किसानों की हालत में सुधार आये, इसके लिये उपनिदेशक उद्यान कौशल कुमार द्वारा धीरे-धीरे प्रयास शुरू किये गये। स्थानीय स्तर से लेकर केंद्रीय कृषिमंत्री तक उन्होंने लिखापढ़ी करायी। इस मामले में तत्कालीन जिलाधिकारी प्रुभुएन सिंह ने एक अर्द्ध शासकीय पत्र 28 अक्टूबर 2020 को अपर मुख्य सचिव उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण मनोज कुमार सिंह को लिखा। जिसमें उन्होंने बताया कि जनपद आगरा का पूरे देश में आलू उत्पादन में एक विशिष्ट स्थान है। आगरा मण्डल में प्रदेश के कुल आलू उत्पादन का लगभग 27 प्रतिशत आलू उत्पादित होता है। वर्ष 2019-20 में आगरा मण्डल में कुल 161201 हैक्टेयर क्षेत्रफल में आलू का आच्छादन किया गया। जिसमें 42.22 लाख मैट्रिक टन आलू का उत्पादन प्राप्त हुआ है तथा उत्पादकता 28.19 प्रति हैक्टेयर प्रति टन रही।
उन्होंने बताया कि आगरा मण्डल के लिए लगभग 6.45 लाख मेट्रिक टन कुल आलू बीज की आवश्यकता होती है। वर्तमान में गुणवत्तायुक्त आलू बीज वितरण का कार्य प्रमुख रूप से उद्यान विभाग के माध्यम से सम्पादित कराया जाता है।उद्यान विभाग द्वारा वर्ष 2019-20 में मात्र 10225 कुन्तल आलू बीज का वितरण किया गया। वर्तमान वर्ष में इससे भी कम मात्रा में गुणवत्तायुक्त आलू बीज उपलब्ध कराया गया है तथा यहां के आलू उत्पादक कृषकों द्वारा अधिक बीज उपलब्ध कराने हेतु निरन्तर मांग की जाती है। स्पष्ट है कि उद्यान विभाग द्वारा मांग के सापेक्ष काफी अल्प मात्रा में आलू बीज का वितरण कृषकों को कराया जाता है अतः कृषकों को अधिक से अधिक मात्रा में गुणवत्तायुक्त आलू बीज की उपलब्धता सुनिश्चित कराये जाने हेतु अन्तराष्ट्रीय आलू केन्द्र की एक शोध शाखा जनपद आगरा में स्थापित करायी जानी नितान्त आवश्यक है।जनपद आगरा में उद्यान विभाग की इकाई राजकीय आलू प्रक्षेत्र सींगना आगरा का कुल क्षेत्रफल 138.50 हैक्टेयर है। जिसमें वर्तमान में 22 हैक्टेयर क्षेत्रफल में आलू बीज सम्बर्धन कार्यक्रम किया जा रहा है तथा 36 हैक्टेयर क्षेत्रफल में फलदार एवं अफलदार पौधे रोपित है। इस प्रकार यहां लगभग 80 हैक्टेयर भूमि अप्रयुक्त है यह भूमि आगरा मथुरा राजमार्ग के नजदीक ग्राम सींगना तहसील किरावली में स्थित है। शोधशाखा स्थापित किये जाने हेतु उक्त भूमि उपलब्ध है। अतः जनपद आगरा में अन्तराष्ट्रीय आलू केन्द्र की शोध शाखा खोले जाने के सम्बन्ध में भारत सरकार से अनुरोध करने की कृपा करें।
इसके पश्चात आगरा के तत्कालीन मंडलायुक्त अनुल कुमार ने शासन को एक पत्र 24 दिसंबर 2020 को लिखा। जिसमें उन्होंने बताया कि भारतवर्ष चीन के पश्चात द्वितीय सर्वाधिक आलू उत्पादक देश है। भारत में लगभग 21 लाख हैक्टेयर क्षेत्रफल में आलू का उत्पादन होता है ।उत्तर प्रदेश भारत का सर्वाधिक आलू उत्पादक राज्य है तथा यहाँ पर लगभग 6.15 लाख हैक्टेयर क्षेत्रफल में आलू का उत्पादन होता है। इसी प्रकार आगरा मण्डल प्रदेश का सर्वाधिक आलू उत्पादक मण्डल है। इस मण्डल में प्रदेश के कुल आलू उत्पादन का लगभग 27 प्रतिशत आलू उत्पादित होता है यहाँ की जलवायु व मिट्टी आलू उत्पादन के लिए अत्यन्त उपयुक्त है।
प्रदेश में उत्पादित आलू के निर्यात की असीम सम्भावना है किन्तु निर्यात हेतु उपयुक्त प्रजातियों के उपलब्ध न होने के कारण यहाँ से आलू का निर्यात नहीं हो पाता है। कृषकों की आय में वृद्धि करने के लिए आवश्यक है कि उनको उच्चगुणवत्तायुक्त, रोगमुक्त, प्रसंस्करण / निर्यात के लिए अनुकूल प्रजातियाँ एवं गुणवत्तायुक्त बीज उचित मूल्य पर आवश्यक मात्रा में उपलब्ध कराया जा सके। वर्तमान में केन्द्रीय आलू अनुसंधान संस्थान देश में आलू पर अनुसंधान करने वाली अकेली संस्था है। यद्यपि केन्द्रीय आलू अनुसंधान संस्थान ने उच्च उत्पादन वाली विभिन्न आलू प्रजातियों को विकसित किया है तथापि प्रदेश में अभी भी प्रसंस्करण एवं निर्यात योग्य आलू प्रजातियों का अत्यन्त अभाव है। इसके अतिरिक्त यह भी अवगत कराना है कि उच्च गुणवत्तायुक्त आलू बीज की मांग व पूर्ति में काफी अन्तर होने के कारण क्षेत्र के कृषकों एवं स्थानीय जनप्रतिनिधियों द्वारा बुवाई के समय आलू बीज की भारी मात्रा में मांग की जाती है जिसकी आपूर्ति सम्भव नहीं हो पाती है। अन्तर्राष्ट्रीय आलू केन्द्र, पेरू, साउथ अमेरिका विश्व में आलू पर अनुसंधान करने वाला सर्वोच्च संस्थान है। यह संस्थान वर्ष 1971 से इस क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य कर रहा है। अन्तर्राष्ट्रीय आलू केन्द्र की दक्षिण एशिया में कोई अनुसंधान शाखा नहीं है अतः विश्व के द्वितीय सर्वाधिक आलू उत्पादक देश भारत में अन्तर्राष्ट्रीय आलू अनुसंधान केन्द्र की शाखा खोली जानी नितान्त आवश्यक है।
अन्तर्राष्ट्रीय आलू केन्द्र की शोध शाखा खुलने से होने वाले सम्मावित लाभों का संक्षिप्त विवरण निम्नवत है चीन वैश्विक स्तर पर आलू का सबसे बड़ा उत्पादक एवं निर्यातक देश है अन्तर्राष्ट्रीय आलू केन्द्र की चीन स्थित शाखा ने निर्यात योग्य आलू प्रजातियों को चीन की परिस्थितियों के अनुकूल विकसित करके इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। इसी प्रकार प्रदेश में अन्तर्राष्ट्रीय आलू केन्द्र की शोध शाखा खोले जाने से आलू की उच्च उपज वाली, निर्यात व प्रसंस्करण योग्य, जलवायु के अनुकूल, रोगों व कीटों से प्रतिरोधक, पोषक तत्वों से भरपूर एवं लम्बे समय तक संग्रहण योग्य प्रजातियों के विकास में भरपूर सहायता मिलेगी जिससे कृषकों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिलेगा तथा आलू निर्यात से देश को विदेशी मुद्रा की प्राप्ति भी होगी। शोध केन्द्र की स्थापना से विश्व की दुलर्भ एवं सर्वश्रेष्ठ आलू किस्मों के “जर्म प्लाज्म” सहजतापूर्वक उपलब्ध हो सकेंगे। जिससे क्षेत्रीय उपयुक्तता के आधार पर नवीन प्रजातियों को विकसित करने में सहायता मिलेगी।
शोध केन्द्र की स्थापना से विविधता पूर्वक आलू प्रजातियों का उत्पादन सम्भव हो सकेगा जिससे यहाँ के कृषक अन्य देशों की भाँति औषधीय गुणों से युक्त (बायोफोर्टिफाइड) एवं रंगीन आलू को उत्पादित करते हुए अधिक बाजार मूल्य प्राप्त कर सकेंगे।केन्द्र के माध्यम से नवीन प्रसंस्करण योग्य प्रजातियों का विकास होगा जिससे देश में वृहद एवं लघु स्तर पर खाद्य प्रसंस्करण की इकाईयों की स्थापना का मार्ग प्रशस्त होगा। देश के उत्तर भारत में उत्पादित आलू की मांग मुख्यतः दूरस्थ दक्षिण एवं पूर्वोत्तर राज्यों में अधिक है। आलू के परिवहन में अधिक समय लगने के फलस्वरूप आलू की गुणवत्ता पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। परिवहन योग्य प्रजातियों के विकसित होने पर जहाँ एक ओर उपभोक्ताओं को उनकी मांग के आलू की उपलब्धता होगी वहीं दूसरी ओर पोस्ट हार्वेस्ट क्षति को भी कम किया जा सकेगा। अनुरूप शोध शाखा खुल जाने से कृषकों को समय-समय पर उच्च गुणवत्तायुक्त बीज उत्पादन हेतु प्रशिक्षण भी प्राप्त होगा जिससे वह नवीनतम तकनीकों का प्रयोग करके अपनी आय में वृद्धि कर सकेंगे। जनपद आगरा में आलू शोध खुल जाने से उत्तर-प्रदेश के कृषकों को ही नहीं बल्कि जनपद आगरा की सीमा से लगे अन्य प्रदेशों यथा राजस्थान, मध्यप्रदेश एवं हरियाणा के कृषक भी लाभान्वित होंगे।
यह भी अवगत कराना है कि जनपद आगरा में राजकीय आलू प्रक्षेत्र, सींगना में अन्तर्राष्ट्रीय आलू अनुसंधान केन्द्र की शाखा खोले जाने हेतु पर्याप्त राजकीय भूमि उपलब्ध है। यह प्रक्षेत्र आगरा मथुरा राष्ट्रीय राज्य मार्ग-2 पर जनपद आगरा से लगभग 30 कि०मी० दूरी पर स्थित है। जिलाधिकारी आगरा व स्थानीय जनप्रतिनिधियों द्वारा आलू अनुसंधान केन्द्र की शोध शाखा खोले जाने का प्रस्ताव प्रेषित कर शोध शाखा खोले जाने का अनुरोध पूर्व में भी किया जा चुका है।आलू अनुसंधान केन्द्र की यह शोध शाखा कालान्तर में इस क्षेत्र के लाखों आलू उत्पादक कृषकों के लिए जहाँ एक ओर वरदान सिद्ध होगा, वहीं पूरे देश में आलू उत्पादन एवं आलू निर्यात के क्षेत्र में एक क्रान्तिकारी भूमिका निभाने में सक्षम होगा। जनपद आगरा में अन्तर्राष्ट्रीय आलू केन्द्र की शोध शाखा खोले जाने के सम्बन्ध में प्रभावी आवश्यक कार्यवाही करने की कृपा करें जिससे इस क्षेत्र एवं देश के आलू उत्पादक कृषकों की आय में वृद्धि होने के साथ-साथ उनके जीवन स्तर में अपेक्षित सुधार लाया जा सके।
रास्ते को लेकर है कुछ समस्या
आगरा में राजकीय आलू प्रक्षेत्र, सींगना में आवागमन का रास्ता सुलभ बनाने का प्रयास भी किया जा रहा है। कीठम से होकर रास्ता खुलवाने के लिये अपर मुख्यसचिव द्वारा लिखा गया है। हालांकि सरकारी विभागों में समन्वय न हो पाने के कारण अभी यह समस्या हल नहीं हो पायी है लेकिन उम्मीद है कि जल्द ही रुनकता के पास कीठम से होकर रास्ता खुल जाएगा। जिससे सींगना जाने में सुगमता होगी।
पालीवाल पार्क में अस्थाई कार्यालय खुलेगा
आगरा में 120 करोड़ की लागत से बनने वाले अंतरराष्ट्रीय आलू अनुसंधान केंद्र के लिये पालीवाल पार्क में अस्थायी कार्यालय खोला जाएगा। अन्य कार्यवाही भी जल्द शुरू हो जाएंगी।