फिरोजाबाद, 18 नवंबर। सिरसागंज में आयोजित आर्य धर्म महा सम्मेलन में सम्मेलन के अंतिम दिन वेदों के प्रसिद्ध विद्वान केरल के राज्यपाल महामहिम आरिफ मोहम्मद खान ने शिरकत किया। इस मौके पर बोलते हुए उन्होने कहा कि स्वामी दयानन्द कम उम्र में ही सत्य की तलाश में निकल पडे़, आजीवन विरोध सहते रहे फिर भी अपने पथ पर अडिग रहें और उन्होने कहा कि न्याय के रास्ते के चलने वाले, सत्य के रास्ते पर चलने वाले अत्यंत ही संवेदनशील होते है। नीति के जानने वाले उनकी निन्दा करते है या उनकी प्रशंसा करते है वह उनकी जरा भी परवाह नही करते। उन्होने कहा कि परिवर्तन में पीड़ा नहीं है क्योकि संसार का पर्याय जगत है। जगत का अर्थ है गतिशील होना और वही नेतृत्व प्रदान कर सकते है। जिसमें गतिशीलता है, हम जैसे साधारण लोगों को अपनी आदतों से निकलने में कठिनाई होती है। नीति से चलने वाले इस बात पर कतई परवाह नही करते उनके पास धन या सम्पदा नही है उनको मौत से डर नही लगता उनका बस एक मात्र लक्ष्य होता है कि वह नीति और आदर्शाें पर चलें, महामहिम ने आगे भारत का अर्थ बताते हुए कहा कि भा मतलब सुबह की रोशनी और रत मतलब जो उसमें रमा हो, अर्थात् जो ज्ञान में बुद्धि में जागृत हो या रमा हो वही भारत है, इसलिए भारत की संस्कृति को ज्ञान की संस्कृति कहा गया है, उन्होने आगे कहा कि जीवन का आधार भौतिक सुख या विकास नही है, जीवन का उद्देश्य ज्ञान प्राप्त करना है।
महामहिम ने आगे कहा कि संसार का रथ स्त्री और पुरूष रूपी पहिये से चलता है, इसलिए समाज में जितना महत्व पुरूष का है उतना स्त्री का है, स्वामी दयानन्द सरस्वती ने स्त्री सशक्तिकरण की दिशा में महत्वपूर्ण कार्य किए वास्तव में समाज की प्रगति का आकलन इस बात पर निर्भर है कि आखरी व्यक्ति किस पायदान पर खडा है, हमने ज्ञान, समृद्धि एवं शक्ति के रूप में महिला को देखा है इसलिए उनकी भागीदारी समाज में विशिष्ट हो जाती है।
इस मौके पर बोलते हुए आयुक्त आगरा मण्डल रितु माहेश्वरी ने कहा कि आज जगह-जगह गुरूकुल स्थापित किए अपितु दयानन्द एंगलोवेदिक स्कूल की भी स्थापना की जो स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के विचारों को समर्पित है। उन्होने कहा कि किसी भी व्यक्ति के महत्व का आकलन इस बात से लगाया जाता है कि मरने के बाद भी उसके विचार और सिद्धान्त हम सबके लिए कितने प्रासंगिक है।
इस मौके पर मंत्री जी ने स्वामी दयानन्द सरस्वती ने अपने कार्याें और विचारों से सदैव एक नया सन्देश दिया है। हम सभी को स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के विचारों से प्रेरित होना चाहिए और भावी पीढ़ियों को भी उनके बताये हुए रास्ते पर चलने पर प्रेरित करना चाहिए। इन तीन दिनों के कार्यक्रमों में जो उत्साह बच्चों और बच्चियों के अन्दर देखने को मिला वह निश्चित रूप से आने वाले भविष्य का मार्ग तय कर रहा है, आने वाले समय में यही बच्चे कल के भारत का भविष्य बनेेंगे। इससे पूर्व महामहिम राज्यपाल ने विद्यालय प्रांगढ में लगे भव्य प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया। मंच पर स्मृति चिन्ह देकर और पुष्प गुच्छ देकर माननीय महामहिम जी का स्वागत किया गया और आर्य गुरूकुल की पत्रिका का विमोचन महामहिम राज्यपाल द्वारा किया गया। इस मौके पर प्रधान आर्य प्रतिनिधि देवेन्द्र पाल वर्मा, कुलपति उत्तराखण्ड संस्कृत विश्व विद्यालय हरिद्वार दिनेश चन्द्र शास्त्री, आचार्या डा0 सुमेधा अधिष्ठात्री, अध्यक्षा जिला पंचायत हर्षिता सुमित प्रताप सिंह, डा. सत्यपाल, जिलाधिकारी रमेश रंजन, मुख्य विकास अधिकारी शत्रोहन वैश्य, अपर जिलाधिकारी वि0/रा0 विशु राजा, व अपर जिलाधिकारी न्यायिक संगीता गौतम सहित सभी जिला स्तरीय अधिकारी उपस्थित रहें।