अजन्मे श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव, आगरा समेत ब्रज की संस्कृति का अनंत उत्सव

Exclusive उत्तर प्रदेश

न्माष्टमी पर्व यानी कि भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का उल्लास। जन्माष्टमी पर्व केवल आगरा, मथुरा में ही नहीं मनाया जाता है। बल्कि यह पर्व समूचे भारतवर्ष के लगभग सभी प्रांतों के अलावा देश-दुनियां में बड़ी श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है। आगरा भी ब्रज क्षेत्र में ही आता है, इसलिये यहां तो इस पर्व का महत्व ही बहुत अधिक है। भगवान श्रीकृष्ण के भक्तगणों द्वारा घर-घर में जन्माष्टमी पर झांकियां सजायी जाती हैं। प्रमुख बाजारों और मंदिरों में झांकियां सजायी जाती हैं। यही नहीं आगरा के कारागारों में भी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी धूमधाम से मनायी जाती है। स्कूल, कालेजों के अलावा सरकारी कार्यालयों में  इस दिन अवकाश रहता है। जिससे कि भक्तगण अपने आराध्य का जन्मोत्सव श्रद्धा और पूर्ण भक्तिभाव से मना सकें।  भगवान के भक्त इस दिन वृत रखकर रात को बारह बजे भगवान के जन्म के पश्चात चंद्र दर्शन कर ही जलपान करते हैं।

भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव केवल एक धार्मिक पर्व ही नहीं, बल्कि यह ब्रज की आत्मा और संस्कृति का अनंत उत्सव है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, इस बार भगवान श्रीकृष्ण का 5052 वाँ जन्म दिवस मनाया जा रहा है। हर वर्ष की भाँति,  आगरा और मथुरा के साथ ही सम्पूर्ण ब्रज ही नहीं अपितु देश-दुनियां में यह पर्व दिव्यता, भक्ति और उल्लास के साथ मनाया जाता है। जन्मोत्सव ही नहीं पूरे साल देस-दुनियां के लाखों श्रद्धालु भगवान श्रीकृष्ण की जन्म स्थली के दर्शन के लिये आते हैं।

धार्मिक ग्रंथों में वर्णित है कि जब अत्याचारी राजा कंस का आतंक चरम पर था, तब देवकी और वसुदेव के आठवें पुत्र के रूप में भगवान विष्णु ने धरती पर अवतार लिया। यह जन्म भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी की अर्धरात्रि को, कारागार में हुआ। जैसे ही श्रीकृष्ण का अवतार हुआ, कारागार के द्वार अपने आप खुल गए, पहरेदार गहरी नींद में सो गए और यमुनाजी ने अपने जल को मार्ग देने के लिए विभाजित कर दिया। वसुदेव जी बालकृष्ण को गोकुल ले गए और नंद बाबा के घर यशोदा जी के पास छोड़कर, वहां जन्मी कन्या को कारागार में ले आए। वही कन्या योगमाया थीं, जिन्होंने प्रकट होकर कंस को चेताया— “हे कंस! तेरा संहार करने वाला जन्म ले चुका है।” पुराणों में वर्णित है कि श्रीकृष्ण के जन्म के अवसर पर ब्रह्मा, विष्णु, महेश के साथ ही  इन्द्र, वरुण, यम, सूर्य, चंद्र, कुबेर, वायु, और अनेक देवता तथा ऋषिगण दर्शनार्थ पधारे थे। देवताओं ने पुष्पवृष्टि की, आकाश में मंगलध्वनि गूंजी और सम्पूर्ण ब्रजमंडल आनंद में भर उठा।

मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मस्थान मंदिर में जन्माष्टमी पर आधी रात को जन्माभिषेक होता है। ठीक बारह बजे मंदिर की घंटियों और शंखनाद के बीच “नंद के घर आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की” का गगनभेदी घोष होता है। मंदिरों में रात्रिभर भजन-संकीर्तन, रास-लीला और झांकियों का आयोजन होता है। वृंदावन, गोकुल, नंदगांव, बरसाना, बलदेव, महावन और राधाकुंड-गोवर्धन में मंदिर सजाए जाते हैं, दही-हांडी और माखन-चोरी की झांकियां सजीव प्रस्तुत की जाती हैं। बाकायदा दूरदर्शन और आकाशवाणी श्रीकृष्ण जन्मोत्सव का सीधा प्रसारण करते हैं। जोकि भारत ही नहीं, दुनियां के तमाम देशों में देखा जाता है। इसके लिये दूरदर्शन और आकाशवाणी द्वारा भव्य व्यवस्था श्रीकृष्ण जन्मभूमि, मथुरा में की जाती है। यही नहीं देश-दुनियां में भगवान श्रीकृष्ण के मंदिरों में जन्मोत्सव समारोह का आयोजन उल्लास के साथ किया जाता है। लाखों लोग अपने-अपने शहरों के मंदिरों में जाकर श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाते हैं। इस दिन श्रद्धालुओं का भक्तिभाव देखते ही बनता है।
आगरा में केवल शहर ही नहीं ग्रामीण अंचल में भी श्रीकृष्ण जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है। लोग मेवा आदि डालकर चरनामृत बनाते हैं। पंजीरी और सिंघाड़े का हलुआ तथा  मेवा डालकर बनाये गये पाग का सेवन करते हैं। इनके साथ ही वृत में दोपहर के समय फलों का सेवन कर लेते हैं। कुछ लोग रात को बारह बजे के बाद पूड़ी पकवान भी खा लेते हैं। जबकि कुछ लोग तो अन्नप्रासन दूसरे दिन ही करते हैं।

आगरा समेत समूचे ब्रज क्षेत्र में श्रीकृष्ण की बाल-लीलाओं की चर्चा तो कृष्ण लीलाओं के माध्यम से की जाती है। जिनमें सैकड़ों और हजारों लोग अपने आराध्य देव श्रीकृष्ण की वंदना करते हैं। मान्यता  है कि भगवान  श्रीकृष्ण ने जन्म से लेकर 14 वर्ष की अवस्था तक ब्रज में निवास किया। यहाँ उन्होंने बाल्यकाल में अनेकों लीलाएं कीं— पूतना वध, शाकटभंजन, त्रिणावर्त का संहार, यमलार्जुन उद्धार, कालिया नाग मर्दन, गोवर्धन धारण, रास-लीला और ग्वाल-बालों के साथ माखन-चोरी जैसी मधुर लीलाएं आज भी ब्रजवासियों के हृदय में जीवंत हैं।

श्रीकृष्ण का संदेश-
श्रीकृष्ण का जन्म असत्य पर सत्य, अन्याय पर न्याय और अत्याचार पर धर्म की विजय का प्रतीक है। उन्होंने गीता के माध्यम से जगत को यह अमर संदेश दिया—
“जब-जब धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि होगी, तब-तब मैं अवतार लेकर सज्जनों की रक्षा और दुष्टों का विनाश करूंगा।”
आज भी आगरा, मथुरा समेत  ब्रज क्षेत्र से यही संदेश जाता है कि भक्ति, प्रेम, सेवा और धर्म ही जीवन का सच्चा पथ है।
कुल मिलाकर आगरा, मथुरा और ब्रज में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि यह उस दिव्य स्मृति का उत्सव है, जिसमें भगवानश्रीकृष्ण  ने अपने बाल्यकाल की अठखेलियों से, अपने मधुर वचनों से और अपनी लीलाओं से सम्पूर्ण जगत को प्रेम और आनंद में सराबोर कर दिया।

प्रस्तुति- श्रीमती नर्मदा बघेल (शिक्षिका)

पता-केवी नगर, खेरिया मोड़, आगरा

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *