ग़ालिब इंस्टीट्यूट दिल्ली में सुधीर नारायण/कीर्तिका नारायण नेजोश मलीहाबादी को गा कर याद किया

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आगरा, 8 जुलाई। एवान-ए-ग़ालिब नई दिल्ली में सुधीर नारायण और कीर्तिका नारायण द्वारा जोश मलीहाबादी की ग़ज़लों को स्वर दिया गया। मुख्यतः किसको आती हैमसीहाई, ऐ मलीहाबाद के रंगीं गुलिस्ताँअलविदा, इक तारा, वो दर्दके दिन बाक़ी ना रहे, सोज़-ए-ग़म देके मुझे उसने ये इरशाद किया, जा तुझे कश्मकशेदहर सेआज़ाद किया के साथ साथ अमेरिका के नामी शायर अदील ज़ैदी द्वारा लिखी एक खूबसूरत रचना ‘काश’ सुनायी। दर्शकों नेहर कलाम और उसकी पुर कशिश अदाईगी का इं तहाई तौर पर आनंद लिया। साथी कलाकार थेराज मैसी (तबला), रमेश चंद (गिटार), टायसन (कीबोर्ड), ललित शर्मा (ऑक्टापैड), देशदीप शर्मा (सहयोगी स्वर)) और ग़ुलाम अली (सारंगी)। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि केंद्रीय राज्य मंत्री प्रोफे सर एस पी सिंह बघेल नेआयोजकों को कार्यक्रम की सफलता पर बधाई दी। विशिष्ट अतिथि रहे साहित्यकार अशोक वाजपेयी, नीलम एहलावत (पूर्व IAS), पूर्व राजनयिक डी वी सिंह (IFS)। इस अवसर पर जोश मलीहाबादी के कलाम का
एक संकलन ‘महमिल-ओ-जरस’ का भी विमोचन किया गया जिसको उर्दू अदब की जानी मानी शख़्सियत अदील ज़ैदी ने संकलित किया है। नामचीन शायर जोश मलीहाबादी नेआगरा के सैंट पीटर्सकॉलेज में भी पढ़ाई की थी। कार्यक्रम में
इबारत पब्लिके शन, शान-ए-अल्फ़ाज़, ऐप्लॉस अदब की महत्वपूर्णभूमिका रही। कार्यक्रम विगत 5 जुलाई को ग़ालिब इंस्टिट्यूट के सभागार मेंहुआ।

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