आगरा, 10 अप्रैल। सिंधी भाषा दिवस की 56वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में सिंधी शक्ति संगठन के अध्यक्ष सुशील नोतनानी ने विचार गोष्ठी के कार्यक्रम में बताया कि भारत सरकार ने 1967 में सिंधी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया था। इस दिन को समाज सिंधी भाषा दिवस के रूप में मनाता है। यह हमारा कर्तव्य है कि हम अपनी मातृभाषा को मजबूत बनाएं और घर में महिलाएं बच्चों के साथ बचपन से ही सिंधी भाषा में बात करें।
उत्तर प्रदेश सिंधी अकैडमी से भी अपील की है कि समय-समय पर सिंधी सांस्कृतिक कार्यक्रम होते रहें एवं सिंधी भाषा के उत्थान के लिए और भी सक्रिय हों।भारतीय सिंधु सभा द्वारा भोपाल में सिंधियों का भव्य समागम हुआ, इसी तरीके के सम्मेलन प्रत्येक जिले में होते रहे तो अवश्य ही सिंधी भाषा के उत्थान में बेहतर परिणाम होंगे। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने कहा कि भले ही मैं हिन्दी भाषा बोलता हूं लेकिन सिंधी भाषा मेरी मौसी है, मैं सिंधी भाषा का भी उतना ही मान रखता हूं। जितना कि हिन्दी भाषा का, भारत की सभी भाषायें आपस में बहनें है। संगठन के सभी पदाधिकारियों ने प्रतिज्ञा की कि हम सब सिंधी में बात करेंगे एवं अपने-अपने विचार रखकर विचार गोष्ठी के कार्यक्रम को सफल बनाया।