कीटनाशकों का सुरक्षित एवं संस्तुत प्रयोग अतिआवश्यक

Press Release उत्तर प्रदेश स्थानीय समाचार

आगरा, 12 जून। कृषक भाइयों कीटनाशकों का असुरिक्षत एवं अन्धाधुन्ध प्रयोग खाद्य प्रदार्थों में कीटनाशकों के अवशेष के रूप में मानव स्वास्थ्य, जीव जन्तुओं व पर्यावरण पर दुष्प्रभाव डालते है तथा कृषि के निर्यात को भी प्रभावित करता है। अतः कीटनाशकों का सुरक्षित एवं संस्तुत प्रयोग अतिआवश्यक है। धान की फसल में ट्राईसाइक्लाजोल का प्रयोग मुख्यतः झोंका रोग के नियंत्रण के लिये किया जाता है। बालियों में दाने बनने के बाद इसका प्रयोग करने से चावल में अधिकतम अवशेष सीमा (MRL) बढ़ जाती है जिसके कारण समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ट्राईसाइक्लाजोल एवं बुप्रोफेजिन का मानव स्वास्थ्य पर कुप्रभाव को दृष्टिगत रखते हुये कृषि विभाग द्वारा निम्नलिखित संस्तुति एवं सुझाव दिये जाते है।

• लाइन ट्रान्सप्लान्टिंग को बढ़ावा देना।

• बासमती चावल में ट्राईसाइक्लाजोल एवं बुप्रोफेजिन का प्रयोग यथासंभव न करें।

• इस रोग के रोकथाम के लिये स्यूडोमोनास फ्लोरीसेन्स की 10 ग्राम मात्रा लेकर प्रति कि०ग्राम की दर से बीज उपचारित करना चाहीये एवं खड़ी फसल के लिये रोपाई के 45 दिन बाद स्यूडोमोनास फ्लोरीसेन्स 0.2 प्रतिशत मात्रा का घोल बनाकर छिडकाव करना चाहिये, इसके बाद 10 दिनों के अन्तराल पर इसका छिड़काव किया जाना चाहिये।

फसल बुवाई से लेकर कटाई तक अपनायें गये समस्त कीट, रोग प्रबंधन उपायों की निगरानी करना ।

● किसानों को संस्तुत कीटनाशकों का ही प्रयोग करना चाहियें।

• कीटनाशकों के सुरक्षित प्रयोग एवं आई०पी०एम० विधाओं को क्रियान्वयन किया जायें। • प्रतिबंधित कीटनाशकों का प्रयोग नही करना चाहियें।

कृषकों द्वारा पंजीकृत खेतों का कीट, रोग प्रबंधन से सम्बंधित बुआई से लेकर कटाई तक समस्त उपायों का रिकार्ड रखना।

• कीटनाशकों के अवशेष के कुप्रभाव से घटित घटनाओं पर निगरानी रखना।

• किसानों को प्रमाणित बीज, लाईट / स्टिकी / फेरोमोन ट्रैप ट्राइकोकार्ड, जैव कीटनाशकों का प्रयोग करना चाहियें।

कृषक, लाईसेंसधारी डीलरों से ही कीटनाशकों की खरीद करें तथा उनसे कैश मैमों अवश्य माँगें।

कृषक भाइयों से अनुरोध है कि किसी भी कीट / रोग व खरपतवार की समस्या के निवारण हेतु व्हाटस एप नं० -9452247111 अथवा 9452257111 पर प्रभावित पौधों की फोटो सहित अपनी समस्या व पता लिखकर मैसेज भेजकर 48 घण्टे के अन्दर निदान हेतु सुझाव प्राप्त करें तथा निकटतम विकास खण्ड स्तर पर प्रभारी, राजकीय कृषि रक्षा इकाई अथवा जनपद स्तर पर जिला कृषि अधिकारी कार्यालय से सम्पर्क करें।

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