राज्यसभा सदस्य हरद्वार दुबे का निधन, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी, डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने पुष्पांजलि अर्पित की

Politics उत्तर प्रदेश उत्तराखंड दिल्ली/ NCR स्थानीय समाचार
आगरा, 26 जून। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सदस्य हरद्वार दुबे का आज सोमवार की तड़के निधन हो गया। वे लगभग  74 वर्ष के थे। उनके पुत्र प्रांशु दुबे के अनुसार, हरद्वार दुबे का निधन दिल्ली में आज प्रातः 4.30 बजे हुआ। सुबह आठ बजे दिल्ली के अस्पताल से उनका पार्थिव शरीर आगरा लाया गया। जहां तमाम स्थानीय भाजपा नेताओं के अलावा उत्तर प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी, डिप्टी चीफ मिनिस्टर ब्रजेश पाठक, सांसद राजकुमार चाहर, विधायक पुरुषोत्तम खंडेलवाल, विधान परिषद सदस्य विजय शिवहरे ने पुष्पांजलि अर्पित की। इनके साथ ही जिलाधिकारी नवनीत सिंह चहल, पुलिस कमिश्नर डा. प्रीतिंदर सिंह ने भी उनके पार्थिव शरीर पुष्पांजलि अर्पित की। इसके बाद ताजगंज स्थित श्मसान घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया।
हरद्वार दुबे का जन्म एक जुलाई, 1949 में हुसैनाबाद, बलिया, उत्तर प्रदेश में हुआ था। उन्होंने आगरा में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में संगठन मंत्री के रूप में काम किया। उनका विवाह प्रोफेसर कमला पांडे से हुआ। वे भी कई वर्ष से अस्वस्थ चल रही हैं। अजंता कॉलोनी, धौलपुर हाउस, आगरा में उनका स्थाई आवास है।
हरद्वार दुबे ने वर्ष 1989 में आगरा छावनी क्षेत्र से भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ा और विजयी रहे। उन्होंने कांग्रेस के कद्दावर नेता डॉ. कृष्णवीर सिंह कौशल को हराया था। वर्ष 1991 में वे फिर से विधायक बने और कल्याण सिंह की सरकार में संस्थागत वित्त राज्य मंत्री बनाए गए। वर्ष 2005 में खेरागढ़ विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा लेकिन सफलता नहीं मिली। वर्ष 2011 में आगरा-फिरोजाबाद विधान परिषद सीट से चुनाव हार गए। उन्हें वर्ष 2013 में भाजपा उत्तर प्रदेश का उपाध्यक्ष और प्रवक्ता बनाया गया। 26 नवम्बर 2020 को उन्होंने राज्यसभा सदस्य के रूप में शपथ ली थी। वे तीन वर्ष भी सांसद नहीं रह पाए।
उनके निधन से पार्टी, परिजनों और परिचितों में शोक की लहर है। हरद्वार दुबे भाजपा के पांच पांडवों में से आखिर पांडव बचे थे। हरद्वार दुबे से पहले राजकुमार सामा, भगवान शंकर रावत, रमेशकांत लवानिया, सत्य प्रकाश विकल का निधन हो चुका है। इन सबको आगरा में भाजपा का पांच पांडव कहा जाता था। जिले में जनसंघ और भाजपा की जड़ें जमाने का श्रेय इन्हें दिया जाता है।

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