‘मन की बात 2.0’ की छठी कड़ी में प्रधानमंत्री का सम्बोधन 24 Nov, 2019

Press Release दिल्ली/ NCR स्थानीय समाचार

‘मन की बात 2.0’ की छठी कड़ी में प्रधानमंत्री का सम्बोधन
24 Nov, 2019

मेरे प्यारे देशवासियो, ‘मन की बात’ में आप सबका स्वागत है। आज मन की बात की शुरुआत, युवा देश के, युवा, वो गर्म जोशी, वो देशभक्ति, वो सेवा के रंग में रंगे नौजवान, आप जानते हैं ना।नवम्बर महीने का चौथा रविवार हर साल NCC Day के रूप में मनाया जाता है। आमतौर पर हमारी युवापीढ़ी को Friendship Day बराबर याद रहता है। लेकिन बहुत लोग हैं जिनको NCC Day भी उतना ही याद रहता है। तो चलिए आज NCC के बारे में बातें हो जाए। मुझे भी कुछ यादें ताजा करने का अवसर मिल जाएगा। सबसे पहले तो NCC के सभी पूर्व और मौजूदा Cadet को NCCDay की बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूँ। क्योंकि मैं भी आप ही की तरह Cadet रहा हूँ और मन से भी, आज भी अपने आपको Cadet मानता हूँ। यह तो हम सबको पता ही है NCC यानी National Cadet Corps। दुनिया के सबसे बड़े uniformed youth organizations में भारत की NCC एक है। यह एक Tri-Services Organization है जिसमें सेना, नौ-सेना, वायुसेना तीनों ही शामिल हैं। Leadership, देशभक्ति, selfless service, discipline, hard-work इन सबको अपने character का हिस्सा बना लें, अपनी habits बनाने की एक रोमांचक यात्रा मतलब – NCC। इस journey के बारे में कुछ और अधिक बातें करने के लिए आज फ़ोन कॉल्स से कुछ नौजवानों से, जिन्होंने अपने NCC में भी अपनी जगह बनायी है।

मेरे प्यारे देशवासियो, हम सभी देशवासियों को ये कभी भी नहीं भूलना चाहिए कि 7 दिसम्बर को Armed Forces Flag Day मनाया जाता है। ये वो दिन है जब हम अपने वीर सैनिकों को, उनके पराक्रम को, उनके बलिदान को याद तो करते ही हैं लेकिन योगदान भी करते हैं। सिर्फ सम्मान का भाव इतने से बात चलती नहीं है। सहभाग भी जरुरी होता है और 07 दिसम्बर को हर नागरिक को आगे आना चाहिए। हर एकके पास उस दिन Armed Forces का Flag होना ही चाहिए और हर किसी का योगदान भी होना चाहिए। आइये, इस अवसर पर हम अपनी Armed Forces के अदम्य साहस, शौर्य और समर्पण भाव के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करें और वीर सैनिको का स्मरण करें।

मेरे प्यारे देशवासियो, भारत में Fit India Movement से तो आप परिचित हो ही गए होंगे।CBSE ने एक सराहनीय पहल की है।Fit India सप्ताह की।Schools, Fit India सप्ताह दिसम्बर महीने में कभी भी मना सकते हैं। इसमें fitness को लेकर कई प्रकार के आयोजन किए जाने हैं। इसमें quiz, निबंध, लेख, चित्रकारी, पारंपरिक और स्थानीय खेल, योगासन, dance एवं खेलकूद प्रतियोगिताएं शामिल हैं।

मेरे प्यारे देशवासियो, हमारे देश इतना विशाल है। इतना विविधिताओं से भरा हुआ है। इतना पुरातन है कि बहुत सी बातें हमारे ध्यान में ही नहीं आती हैं और स्वाभाविक भी है। वैसी एक बात मैं आपको share करना चाहता हूँ। कुछ दिन पहले MyGov पर एक comment पर मेरी नजर पड़ी। ये comment असम के नौगाँव के श्रीमान रमेश शर्मा जी ने लिखा था। उन्होंने लिखा ब्रहमपुत्र नदी पर एक उत्सव चल रहा है। जिसका नाम है ब्रहमपुत्र पुष्कर। 04 नवम्बर से 16 नवम्बर तक ये उत्सव था और इस ब्रहमपुत्र पुष्कर में शामिल होने के लिए देश के भिन्न-भिन्न भागों से कई लोग वहाँ पर शामिल हुए हैं।

मेरे प्यारे देशवासियों पुष्करम, पुष्करालू, पुष्करः क्या आपने कभी ये शब्द सुने हैं, क्या आप जानते हैं आपको पता है ये क्या है, मै बताता हूँ यह देश कि बारह अलग अलग नदियों पर जो उत्सव आयोजित होते हैं उसके भिन्न- भिन्न नाम है।हर वर्ष एक नदी पर यानि उस नदी का नंबर फिर बारह वर्ष के बाद लगता है, और यह उत्सव देश के अलग-अलग कोने की बारह नदियों पर होता है, बारी- बारी से होता है और बारह दिन चलता है कुम्भ की तरह ही ये उत्सव भी राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देता है और ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ के दर्शन कराता है।पुष्करम यह ऐसा उत्सव है जिसमें नदी का मह्त्मय , नदी का गौरव, जीवन में नदी की महत्ता एक सहज रूप से उजागर होती है!

मेरे प्यारे देशवासियोंNamo App पर मध्यप्रदेश से बेटी श्वेता लिखती है, और उसने लिखा है, सर,मैं क्लास 9thमें हूँ मेरी बोर्ड की परीक्षा में अभी एक साल का समय है लेकिन मैं students और exam warriors के साथ आपकी बातचीत लगातार सुनती हूँ, मैंने आपको इसलिए लिखा है क्योंकि आपने हमें अब तक ये नहीं बताया है कि अगली परीक्षा पर चर्चा कब होगी। कृपया आप इसे जल्द से जल्द करें।अगर, सम्भव हो तो, जनवरी में ही इस कार्यक्रम का आयोजन करें। साथियो,‘मन की बात’ के बारे में मुझे यही बात बहुत अच्छी लगती है – मेरे युवा-मित्र, मुझे, जिस अधिकार और स्नेह के साथ शिकायत करते हैं, आदेश देते हैं, सुझाव देते हैं – यह देख कर मुझे बहुत खुशी होती है।श्वेता जी, आपने बहुत ही सही समय पर इस विषय को उठाया है। परीक्षाएँ आने वाली हैं,तो, हर साल की तरह हमें परीक्षा पर चर्चा भी करनी है। आपकी बात सही है इस कार्यक्रम को थोड़ा पहले आयोजित करने की आवश्यकता है !

साथियो, पिछले ‘मन की बात’ में हमने 2010 में अयोध्या मामले में आये इलाहाबाद हाई कोर्ट के Judgementके बारे में चर्चा की थी, और, मैंने कहा था कि देश ने तब किस तरह से शांति और भाई-चारा बनाये रखा था। निर्णय आने के पहले भी, और, निर्णय आने के बाद भी।इस बार भी, जब, 9 नवम्बर को सुप्रीम कोर्ट का Judgement आया, तो 130 करोड़ भारतीयों ने,फिर से ये साबित कर दिया कि उनके लिए देशहित से बढ़कर कुछ नहीं है। देश में, शांति, एकता और सदभावना के मूल्य सर्वोपरि हैं।

साथियो, ख़ास बात ये भी है कि संयुक्त राष्ट्र ने 2019 यानी इस वर्ष को ‘International Year of Indigenous Languages’ घोषित किया है। यानी उन भाषाओँ को संरक्षित करने पर जोर दिया जा रहा है जो विलुप्त होने के कगार पर है।डेढ़-सौ साल पहले, आधुनिक हिंदी के जनक, भारतेंदु हरीशचंद्र जी ने भी कहा था :-

“निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल,

बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।|”

अर्थात, मातृभाषा के ज्ञान के बिना उन्नति संभव नहीं है। ऐसे में रंग समुदाय की ये पहल पूरी दुनिया को एक राह दिखाने वाली है। यदि आप भी इस कहानी से प्रेरित हुए हैं, तो, आज से ही, अपनी मातृभाषा या बोली का खुद उपयोग करें। परिवार को, समाज को प्रेरित करें।

19वीं शताब्दी के आखिरी काल में महाकवि सुब्रमण्यम भारती जी नें कहा था और तमिल में कहा था। वो भी हम लोगों के लिए बहुत ही प्रेरक है। सुब्रमण्यम भारती जी ने तमिल भाषा में कहा था –

मुप्पदु कोडी मुगमुडैयाळ

उयिर् मोइम्बुर ओंद्दुडैयाळ

इवळ सेप्पु मोळी पधिनेट्टूडैयाळ

एनिर्सिन्दनैओंद्दुडैयाळ

और उस समय ये 19वीं शताब्दी के ये आखरी उत्तरार्ध की बात है। और उन्होंने कहा है भारत माता के 30 करोड़ चेहरे हैं, लेकिन शरीर एक है। यह 18 भाषाएँ बोलती हैं, लेकिन सोच एक है।

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