मतदान के लिए ईवीएम के स्थान पर पेपर बैलेट का उपयोग करने की जनहित याचिका की खारिज

Press Release दिल्ली/ NCR

यदि आप जीतते हैं, तो ईवीएम से छेड़छाड़ नहीं होती; जब आप हारते हैं, तो उनसे छेड़छाड़ होती है’। सुप्रीम कोर्ट ने मतदान के लिए पेपर बैलेट का उपयोग करने की जनहित याचिका की खारिज

आगरा.26.11.2024/आज सुप्रीम कोर्ट ने भारत में मतपत्र से मतदान की मांग करने वाले व ईवीएम में दोष बताने पर याचिकाकर्ता डॉ. के.ए. पॉल द्वारा दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया। इसके साथ अन्य याचिकाएं भी शामिल थीं जिनमें चुनाव आयोग को निर्देश जारी करना शामिल था कि अगर चुनाव के दौरान पैसे, शराब और अन्य प्रलोभन बांटने का दोषी पाया जाता है तो उम्मीदवारों को कम से कम 5 साल के लिए अयोग्य घोषित किया जाए।
याचिकाकर्ता के रूप में व्यक्तिगत रूप से पेश हुए डॉ. पॉल ने शुरुआत में जस्टिस विक्रम नाथ और पी.बी. वरालेः के समक्ष कहा कि“मैंने बहुत प्रार्थना के बाद यह जनहित याचिका दायर की है।याची की बात पूरी करने से पहले ही न्यायमूर्ति नाथ ने मौखिक रूप से टिप्पणी कीः “आपने पहले भी जनहित याचिकाएँ दायर की हैं। आपको ऐसे शानदार विचार कैसे मिलते हैं?“
इस पर याचिकाकर्ता ने जवाब दिया कि वह लॉस एंजिल्स में ग्लोबल पीस समिट से अभी-अभी आया हैः “मैं शनिवार को समिट की शानदार सफलता से अभी-अभी लौटा हूँ। इस जनहित याचिका में हमारे साथ लगभग 180 सेवानिवृत्त आईएएस/आईपीएस अधिकारी और न्यायाधीश हैं जो मेरा समर्थन कर रहे हैं…मैं ग्लोबल पीस का अध्यक्ष हूँ और मैंने 3,10,000 अनाथों और 40 लाख विधवाओं को बचाया है। दिल्ली में हमारी 5,000 विधवाएँ हैं।“ देश में चुनावों में धांधली का आरोप लगाने वालों को बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने इससे जुड़ी एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया है। दरअसल, जनहित याचिका में देश में ईवीएम की जगह बैलट पेपर से चुनाव कराने की मांग की गई थी। यह जनहित याचिका डॉ. केए पॉल ने दायर की थी. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस पीबी वराले की पीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता से पूछा कि ये याचिका दायर करने संबंधित आपको शानदार विचार कैसे मिला? जस्टिस विक्रम नाथ और पीबी वराले की पीठ ने कहा, ’जब आप चुनाव जीतते हैं, तो इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) से छेड़छाड़ नहीं होती। जब आप चुनाव हार जाते हैं, तो ईवीएम से छेड़छाड़ हो जाती है।’

याचिका में की गई थीं ये मांगें
बैलेट पेपर से मतदान के अलावा याचिका में कई निर्देश मांगे गए थे। इसमें चुनाव आयोग को निर्देश देना शामिल है कि अगर कोई उम्मीदवार चुनाव के दौरान मतदाताओं को पैसे, शराब या अन्य प्रलोभन देने का दोषी पाया जाता है, तो उसे कम से कम पांच साल के लिए अयोग्य घोषित किया जाए।
जब याचिकाकर्ता केए पॉल ने कहा कि उन्होंने जनहित याचिका दायर की है, तो पीठ ने कहा, ’आपके पास दिलचस्प जनहित याचिकाएं हैं। आपको ये शानदार विचार कहां से मिले?’ इस पर याचिकाकर्ता ने कहा कि वह एक ऐसे संगठन के अध्यक्ष हैं, जिसने तीन लाख से अधिक अनाथों और 40 लाख विधवाओं को बचाया है। इस पर पीठ ने कहा, आप इस राजनीतिक क्षेत्र में क्यों आ रहे हैं? आपका कार्यक्षेत्र बहुत अलग है। पॉल ने जब बताया कि वे 150 से अधिक देशों में जा चुके हैं, तो पीठ ने उनसे पूछा कि क्या हर देश में बैलेट पेपर से वोटिंग होती है या इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग का इस्तेमाल होता है। याचिकाकर्ता ने कहा कि विदेशी देशों ने बैलेट पेपर से वोटिंग को अपनाया है और भारत को भी ऐसा ही करना चाहिए। पीठ ने पूछा, आप बाकी दुनिया से अलग क्यों नहीं होना चाहते? याचिकाकर्ता ने कहा, देश में भ्रष्टाचार है और इस साल जून में चुनाव आयोग ने घोषणा की कि उसने 9,000 करोड़ रुपये जब्त किए हैं। इस पर अदालत ने कहा कि लेकिन इससे आपकी राहत कैसे प्रासंगिक हो जाती है, जिसका आप यहां दावा कर रहे हैं? अगर आप बैलेट पेपर पर वापस जाते हैं, तो क्या कोई भ्रष्टाचार नहीं होगा?
पॉल ने दावा किया कि टेस्ला के सीईओ और सह-संस्थापक एलन मस्क ने कहा था कि ईवीएम से छेड़छाड़ की जा सकती है और उन्होंने कहा कि टीडीपी प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री वाई एस जगन मोहन रेड्डी ने भी दावा किया था कि ईवीएम से छेड़छाड़ की जा सकती है। शीर्ष अदालत ने कहा, ’जब चंद्रबाबू नायडू हारे थे, तो उन्होंने कहा था कि ईवीएम से छेड़छाड़ की जा सकती है। अब इस बार जगन मोहन रेड्डी हारे हैं, तो उन्होंने कहा कि ईवीएम से छेड़छाड़ की जा सकती है।’
जब याचिकाकर्ता ने कहा कि सभी जानते हैं कि चुनावों में पैसे बांटे जाते हैं। इस पर पीठ ने टिप्पणी की, हमें कभी भी किसी चुनाव के लिए कोई पैसा नहीं मिला। तब याचिकाकर्ता ने कहा कि उनकी याचिका में एक और प्रार्थना चुनाव प्रचार के दौरान पैसे और शराब के इस्तेमाल को लेकर यह सुनिश्चित करना है कि इस तरह की प्रथाएं प्रतिबंधित हों और कानून के तहत दंडनीय हों। याचिका में मतदाता जागरूकता बढ़ाने और निर्णय लेने के महत्व को बढ़ाने के लिए व्यापक मतदाता शिक्षा अभियान चलाने के निर्देश देने की भी मांग की गई है। पॉल ने आगे कहा कि आज 32 प्रतिशत शिक्षित लोग अपना वोट नहीं डाल रहे हैं। यह कितनी बड़ी त्रासदी है। अगर लोकतंत्र इसी तरह खत्म होता रहेगा और हम कुछ नहीं कर पाएंगे तो आने वाले वर्षों में क्या होगा।

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