नोडल अधिकारी ने कान्हा गौशाला को स्वावलंबी बनाने पर दिया बल

Press Release उत्तर प्रदेश

—– गौशाला में 2619 गोवंश मिले, व्यवस्थाओं पर संतोष जताया
—-जल की गुणवत्ता और परीक्षण रिपोर्ट पर भी की चर्चा

आगरा। शासन द्वारा नियुक्त नोडल अधिकारी एवं परिवहन आयुक्त बृजेश नारायण सिंह ने आज शनिवार को कान्हा गौशाला का निरीक्षण कर गौशाला में रह रहे गोवंश की देखभाल, उपलब्ध संसाधनों की गुणवत्ता और प्रशासनिक व्यवस्थाओं की वास्तविक स्थिति को परखा। इस दौरान उन्होंने गौशाला को स्वावलंबी बनाने पर भी बल दिया। इस दौरान गौशाला में कुल 2619 गोवंश की उपस्थिति दर्ज की गई।
निरीक्षण के दौरान नोडल अधिकारी ने विशेष रूप से पशुओं को दी जा रही पेयजल व्यवस्था पर अधिकारियों का ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने गौशाला में उपलब्ध पानी की गुणवत्ता की जांच किस प्रकार की जाती है और क्या इसके लिए कोई नियमित परीक्षण की व्यवस्था है के विषय में जानकारी ली। नगर निगम के पशु कल्याण अधिकारी डॉ. अजय कुमार सिंह ने जानकारी दी कि गौशाला में प्रतिदिन लगभग 50,000 लीटर पीने योग्य जल की आपूर्ति की जाती है, जो जलकल विभाग द्वारा नियमित रूप से परीक्षित किया जाता है। जल की गुणवत्ता मानकों के अनुरूप है और परीक्षण रिपोर्ट समय-समय पर प्रशासन को उपलब्ध कराई जाती है।
नोडल अधिकारी ने जल प्रबंधन की सराहना करते हुए कहा कि जल की गुणवत्ता सीधे पशुओं के स्वास्थ्य से जुड़ी होती है, और इसमें किसी प्रकार की लापरवाही नहीं होनी चाहिए। उन्होंने निर्देशित किया कि परीक्षण की रिपोर्ट को नियमित रूप से अपडेट किया जाए और किसी भी अनियमितता की स्थिति में त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।
निरीक्षण के दौरान डॉ. अजय कुमार सिंह ने गौशाला में चल रही अन्य व्यवस्थाओं का भी विस्तार से विवरण दिया। उन्होंने बताया कि नगर निगम द्वारा गोवंश के लिए नियमित टीकाकरण, पोषणयुक्त आहार, सफाई व्यवस्था और चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। इसके अतिरिक्त, गौशाला को आत्मनिर्भर बनाने के लिए जैविक खाद, बायोगैस प्लांट, गौमूत्र से औषधि निर्माण जैसे कई प्रोजेक्ट्स पर कार्य किया जा रहा है। निरीक्षण में मुख्य विकास अधिकारी , अपर नगर आयुक्त शिशिर कुमार, एवं मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी भी उपस्थित रहे। सभी अधिकारियों ने नोडल अधिकारी के साथ मिलकर गौशाला की दीर्घकालिक विकास योजनाओं पर चर्चा की।
निरीक्षण उपरांत श्री सिंह ने कहा कि कन्हा गौशाला को एक मॉडल गौशाला के रूप में विकसित किया जाना चाहिए, ताकि इसका उदाहरण प्रदेश की अन्य गौशालाओं के लिए प्रेरणा बन सके। उन्होंने कहा कि व्यवस्थाएं संतोषजनक हैं, लेकिन आत्मनिर्भरता की दिशा में कार्य को गति देने की आवश्यकता है।

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