
आगरा, 15 अप्रैल। मेरा भारत स्वस्थ भारत समिति ने आज 14 अप्रैल 2023 को यूथ हॉस्टल,संजय प्लेस, आगरा में संविधान के शिल्पकार और भारत के महान नेता डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की 132 वी जयंती का आयोजन किया। जिसमें मेरा भारत स्वस्थ भारत समिति के अध्यक्ष डॉक्टर बी एस बघेल ने बताया कि कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ ज्ञानेंद्र कुमार निदेशक मेंटल हेल्थ इंस्टीट्यूट आगरा तथा प्रोफेसर डॉक्टर नीरज यादव ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। एवं आशीष यादव आईएएस अलाइड विशिष्ट अतिथि रहे ।
इस अवसर पर डॉक्टर संतोष कुमार सिंह प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष सरोजनी नायडू मेडिकल कॉलेज आगरा ने बताया कि हमें संविधान की सोच को बचाना है ।आज के परिवेश में उसे जिताना भी है क्योंकि संविधान ने ही हमें बहुत सारे अधिकार दिए हैं ।अपने कर्तव्यों के पालन के निर्वहन करने के लिए हमें रास्ता बताया है ।इसके अतिरिक्त सभा में आए बहुत सारे मेडिकल विद्यार्थियों को भी उन्होंने प्रेरित किया और कहा कि बाबा साहब अंबेडकर की तरह आप लोग भी डरें नहीं और न हीं परेशान हों और संघर्ष करते रहें। मेहनत करते रहें और बाबा साहब के आदर्शों पर चलकर उन्हीं की तरह अपना नाम रोशन करें ।उसके बाद डॉक्टर खुशहाल सिंह यादव डेंटल सर्जन आगरा ने बताया कि किस तरह डॉ अंबेडकर हिंदू कोड बिल के विरोध में झुके नहीं बल्कि अपना कानून मंत्री से त्यागपत्र दे दिया ।उन्होंने कहा कि हमें भी डॉ अंबेडकर की तरह ही अपने आदर्शों को ऊंचा रखना चाहिए । हमें किसी से डरना या घबराना नहीं चाहिए। यदि कोई बात सही है तो उसे पूर्ण विश्वास के साथ रखना चाहिए ।उन्होंने बताया, कैसे अभावों भरे जीवन में भी उन्होंने संघर्ष किया लेकिन फिर भी वह किसी से डरे नहीं और अपने आदर्शों को हमेशा ऊंचा रखा ।डॉ के एस दिनकर प्रोफेसर ऑर्थोपेडिक डिपार्टमेंट एसएनएमसी आगरा ने बताया कि आज भी बहुत कम लोग डॉ अंबेडकर के बारे में जानते हैं ।आज भी लोग यही समझते हैं कि वह केवल दलितों के नेता थे। बल्कि वह सर्व समाज के नेता थे । कैसे उन्होंने संविधान के अलावा बड़ी-बड़ी परियोजनाओं में जैसे कि दामोदर बांध योजना, भाखड़ा नांगल बांध योजना मैं भी उन्होंने अपने सुझाव और प्रस्ताव दिए।
कानून मंत्री के साथ-साथ वह श्रम मंत्री भी रहे । उस समय श्रमिकों की स्थिति अच्छी नहीं थी उनके सुधार के लिए कई तरह के नियमों को पारित भी करवाया तथा उन्होंने महिलाओं के अधिकार व सम्मान के लिए भी लड़ाई लड़ी । महिलाओं से संबंधित कई सारे नियमों को उन्होंने लागू करवाया। डॉ हिमांशु यादव प्रोफेसर आई विभाग एसएनएमसी आगरा ने बताया उस समय असमानता चरम पर थी। महिलाओं, दलितों एवं गरीब आदमियों की स्थिति अच्छी नहीं थी ।तब बाबा साहब एक सूर्य की रोशनी की तरह आए तथा उन्होंने गरीबों , दलितों , महिलाओं के समान अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी ।सामाजिक भेदभाव एवं कुरीतियों का खंडन किया। जिससे दलितों और महिलाओं की स्थिति सुदृढ़ बनी । डॉ शिव प्रताप सिंह प्रोफेसर सहारनपुर मेडिकल कॉलेज ने बताया कि किस तरह बाबा साहब ने सामाजिक भेदभाव का विरोध किया तथा दलितों को समानता के अधिकार दिलवाए। तत्पश्चात डॉ शिखा गौतम, डॉ अरविंद एवं डॉ मनोज कुमार पिप्पल जूनियर रेजिडेंट, टीवी एंड चेस्ट, एसएनएमसी आगरा ने भी बाबा साहब के विचार एवं महिलाओं के अधिकारों के बारे में चर्चा की ।इसके बाद कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह यादव एवं डॉ वीरेंद्र सिंह यादव डेंटल फैकल्टी, एसएनएमसी आगरा ने भी डॉ भीमराव अंबेडकर के विचारों के बारे में चर्चा की ।कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि आशीष यादव आईएसए एलाइड ने भी डॉ भीमराव अंबेडकर की तरह सोना बनने के लिए प्रेरित किया। कहा कि जैसे बाबा साहब कष्ट झेल कर, तप कर सोने की तरह चमके और बताया कि आज के युग में ज्ञान ही शक्ति है अतः ज्ञानवान बनें और शक्तिमान बनें क्योंकि हमें किसी से डरने या घबराने की जरूरत नहीं है। वह केवल तभी संभव होगा जब हमें सभी के बारे में ज्ञान होगा। उन्होंने विद्यार्थियों को बाबा साहब के जीवन के आदर्शों से प्रेरित होकर पढ़ाई करने की सलाह दी तथा व्हाट्सएप मोबाइल एवं व्यर्थ में समय बर्बाद करने के लिए मना किया । कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ ज्ञानेंद्र कुमार ने बताया कि बाबा साहब ने अंत में बौद्ध धर्म को अपनाया था क्योंकि वह गौतम बुद्ध के विचारों से बहुत प्रभावित थे। महात्मा बुद्ध ने ज्ञान प्राप्ति के लिए अपने परिवार और राज पाट का त्याग कर दिया था । त्याग करने से पहले उन्होंने सबको पहले से ही सूचित कर दिया था कि मैं जल्द ही यह सब छोड़ दूंगा। डॉ ज्ञानेंद्र कुमार ने समाज में चल रही जाति व्यवस्था एवं सामाजिक भेदभाव की नीतियों से दूर रहने की सलाह दी तथा अपने पढ़ाई को पूरा करने के लिए जो भी संघर्ष करना पड़े वह करके ज्ञान प्राप्त करें। प्रोफेसर नीरज यादव एसएनएमसी आगरा ने बताया कि बाबा साहब ने अकेले ही गरीबी में रहते हुए अपनी पढ़ाई को पूरा किया तथा उन्होंने बहुत सारी डिग्रियां हासिल कीं जो कि अपने आप में विशेष बात है ।उन्होंने सामाजिक न्याय, असमानता, सामाजिक भेदभाव जैसे कार्यों पर खूब संघर्ष किया और दलितों के लिए, पिछड़ों के लिए काफी कार्य किए । डॉक्टर बी एस बघेल ने बताया कि बाबा साहब ने किस तरह प्रारंभिक पाठशाला से लेकर कॉलेज तक जात पात को लेकर सामाजिक भेदभाव को लेकर उन्होंने विरोध झेला और संघर्ष कर विदेश में जाकर अपनी पढ़ाई को पूरा किया ।ऐसी ऐसी डिग्रियां हासिल की जो कि आजकल कई लोगों के लिए सपने की तरह है ।उन्होंने कहा कि जीवन लंबा होने के बजाए महान होना चाहिए। आपको अपनी बात सच्चाई के साथ और डटकर कहनी चाहिए ।उन्होंने सामाजिक कुरीतियों के कई पहलुओं पर विशेष रूप से प्रहार किया। भारत के संविधान की रचना की। बाबा साहब के विचारों जैसे कानून और व्यवस्था राजनीतिक शरीर की दवा है और जब राजनीतिक शरीर बीमार होता है तब दवा की जरूरत होती है। मैं ऐसे धर्म को मानता हूं जो समानता ,स्वतंत्रता एवं भाईचारे पर आधारित हो । बाबा साहब के राजनीतिक गुरु ज्योतिराव फुले थे ।अतः हमें ज्योतिराव फुले के विचारों का भी अनुशरण करना चाहिए ।वह बुद्ध धर्म की शरण में गए इसीलिए हमें बुद्ध के विचारों को भी सुनना चाहिए ।कार्यक्रम के अंत में सभा में आए सभी विद्यार्थियों को भारतीय संविधान की किताबें एवं पत्रिकाएं व मोमेंटो भेंट किए गए। कार्यक्रम का सफल संचालन डॉक्टर बी एस बघेल द्वारा किया गया।