आगरा, 8 अक्टूबर। आगरा शू फैकटरस फैडरेशन के अध्यक्ष गागन दास रामानी ने राज्य जीएसटी आयुक्त को पत्र लिखकर शिकायत की है कि आगरा में फुटवियर कारोबार में जीएसटी छापों द्वारा व्यापारियों का उत्पीड़न किया जा रहा है। उन्होंने आयुक्त से इन छापों को रोकने की मांग की है। जिससे कि व्यापारियों का उत्पीड़न न हो सके। उन्होंने कहा है कि आगरा का फुटवियर कारोबार मुगल कालीन है ।जहां कमजोर वर्ग के कारीगर अपने परिवार के साथ अपने घरों में, छोटे कारखानों में असंगठित रूप से जूतों का निर्माण कर अपना जीवन यापन करते हैं। इस कारोबार में लगभग साढ़े तीन लाख लोग जिनमें कारीगर,छोटे और मध्यम आकार के कारखानेदार, फुटवियर के मेटेरियल व फुटवियर के थोक विक्रेता उनके कर्मचारी,पैकर्स,माल ढुलाई वाले मजदूर व ट्रांसपोर्ट के कर्मचारी जुड़े हुए हैं।इस प्रकार यह आगरा की लाइफ लाइन है व इसलिए माननीय मुख्यमंत्री की महत्वाकांक्षी ओ डी ओ पी ( वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट) योजना में आगरा का फुटवियर कारोबार शामिल किया गया है। आगरा का फुटवियर सस्ता होने के कारण देश की लगभग 65% जनता इसका उपयोग करती है व कश्मीर से कन्याकुमारी तथा पूर्वोत्तर भारत के प्रांतो से पश्चिम में कच्छ भुज तक यह माल भेजा जाता है।
कोरोना के दो साल इस कारोबार को पूर्ण रूप से बर्बाद कर चुके हैं। रही सही कसर इसपर जी एस टी की दर 5% से बढ़ाकर 12% करने पर पूरी हो गई। नतीजतन आगरा का फुटवियर कारोबार दिल्ली व बहादुरगढ में जा चुका है। अप्रैल से अगस्त तक आगरा का फुटवियर कारोबार न के बराबर होता है व सितंबर माह से नई सैंपलिंग के साथ आरंभ होता है जिससे आगामी दुर्गा पूजा, दीपावली, क्रिसमस व शादी विवाह के लिए माल तैयार किया जाता है। हाल ही में आगरा फुटवियर कारोबार के व्यापारियों पर जी एस टी विभाग ने वर्ष 2017-18 के रिटर्न में छोटी छोटी भूल के लिए कार्यालय में उपस्थित होने का दबाव बनाया जबकि इस कालखंड में न तो व्यापारी और उनके कर सलाहकार और न ही विभाग के विद्वान अधिकारी पूर्ण रूप से रिटर्न दाखिल करने तथा आकलन करने में पारंगत थे। होना तो यह चाहिए कि भूलवश अगर किसी का कुछ कर कम जमा हुआ है तो उसे नोटिस देकर कर जमा कराया जाना चाहिए जिससे राज्य कर की राजस्व हानि को बचाया जा सके।
अभी यह चल ही रहा है कि अब विभाग फुटवियर कारोबार के कारखानेदारों और व्यापारियों पर सर्च व छापों की कार्यवाही कर रहा है। उन्होंने पत्र में लिखा है कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार व्यापारियों की सरकार मानी जाती है, लेकिन जिस तरह से जीएसटी अधिकारियों द्वारा छापे डालने की कार्यवाही की जा रही है, उससे व्यापारी पूरी तरह से भयभीत है ,और वह खुले मन से व्यापार नहीं कर पा रहा है। आर्थिक मंदी के दौर में व्यापारी जिस संकटकालीन परिस्थितियों से गुजर रहे हैं ,ऐसी स्थिति में छापेमारी उनके लिए एक मुसीबत बन गई है। अनुरोध है कि तत्काल प्रभाव से छापों की कार्यवाही को रोकने की कृपा करें तथा वर्ष 2017-18 के कर संबंधित प्रकरणों में बिना व्यापारी को कार्यालय में बुलाए केवल राजस्व की वसूली करने के आदेश जारी करने की कृपा करें।