आगरा.12.06.2024/अपर जिलाधिकारी (वि0/रा0) श्रीमती शुभांगी शुक्ला ने अवगत कराया है कि विगत दिवसों में देखा गया है कि जनपद में डूबने की घटनायें तेजी से बढ़ रही है तथा बढ़ती गर्मी से राहत पाने हेतु घाटों, नदी, तालाबों आदि में स्नान करने के दौरान बच्चों, किशोर व किशोरी एवं अन्य व्यक्तियों की मृत्यु डूबने के कारण हो रही है, जिस कारण से कई घरों को संकट का सामना करना पड़ रहा है। यह स्थिति सम्बन्धित परिवारों के लिए त्रासद है। इन बहु मूल्य जिंदगियों को बचाने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखेः-
खतरनाक घाटों/तालाबों/गड्डों के किनारे ना स्वयं जाये न ही बच्चों को जाने दे। यदि तैरना आता हो तभी घाटों/तालाबों/गड्डों के किनारे जायें। बच्चों को पुल/घाटों/तालाबों/ गड्डों के तेज बहाव में स्नान करने से रोके। बच्चों को पुल/पुलिया ऊँचे टीले/पेड़ से पानी में कूद कर स्नान करने से रोकें। यदि बहुत ही आवश्यक हो तो नदी के किनारे जाये, परन्तु नदी में उतरते समय गहराई का ध्यान रखें। डूबते व्यक्ति को धोती/साड़ी/रस्सी/बांस की सहायता से बचायें। यदि तैराना नही जानते हैं तो पानी में न जायें सहायता के लिए किसी को पुकारे। गांव/गलियां में डूबने की घटना होने पर आस-पास के लोग एकत्रित होकर ऐसी दुःखद घटना की चर्चा करें कि किस कारण से यह घटना हुई है। ऐसा क्या किया जाये पुनरावृति ऐसी घटना न हो।
डूबे व्यक्ति को पानी से निकाल कर तत्काल प्राथमिक उपचार निम्न प्रकार करेंः-
सबसे पहले देख लें कि डूबे हुये व्यक्ति के मुँह व नाक में कुछ फंसा तो नही है, यदि है तो उसे निकाल दें। यदि डूबा हुआ व्यक्ति को खास/बोल/सांस ले सकने की स्थिति में तो उसे ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करें। मूर्चछा या बेहोशी आने पर सांस देने छाती में दबाव की प्रक्रिया शुरू करें। नाक व मुँह पर उगलियों के स्पर्श से जांच कर लें कि डूबे हुये व्यक्ति की सांस चल रही है या नहीं। नब्ज की जांच करने के लिए गले के किनारे के हिस्सों को उगलियों से छूकर जानकारी प्राप्त करें कि नब्ज चल रही अथवा नही। नब्ज सांस का पता नहीं चलने पर डूबे हुये व्यक्ति को मुँह से लगाकर दो बार भरपूर सांस लें व 30 बार छाती के बीच में दबाव दें तथा इस विधि को 03 से 04 बार दौहायें। ऐसा करने पर दुबारा सांस चलना शुरू हो सकती है तथा उपरोक्त प्रक्रिया के बाद बचाये गये व्यक्तियों को अविलम्ब नजदीक डॉक्टर या प्राथमिक चिकित्सा केन्द्र पर ले जायें।