आगरा के आलू उत्पादकों की समस्या समाधान को लखनऊ पहुंचे किसान, ज्ञापन दिया

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लखनऊ, 4 सितंबर। आगरा जनपद के आलू किसानों की लगातार बढ़ती समस्याओं को आगरा प्रशासन के पश्चात लखनऊ स्तर पर भी उठाया गया है। पहले ताज सिटी आलू उत्पादक किसान सेवा समिति के पदाधिकारियों ने सोमवार को जिलाधिकारी अरविंद मल्लप्पा बंगारी को ज्ञापन सौंपा, जिसमें आलू किसानों की वास्तविक परेशानियों को विस्तार से रखा गया। जिलाधिकारी ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जिला उद्यान अधिकारी को आदेश दिया कि किसान नेताओं के साथ बैठकर समस्याओं पर चर्चा कर समाधान का ठोस मार्ग निकाला जाए। इसके पश्चात समिति के पदाधिकारियों लक्ष्मीनरायन एवं किसान नेता श्याम सिंह चाहर आदि ने लखनऊ जाकर उपनिदेशक उद्यान कौशल कुमार को इन समस्याओं से अवगत कराया। जिस पर उपनिदेशक ने आश्वासन दिया है कि निदेशालय और शासन के स्तर पर आलू किसानों की इन समस्याओं को हल कराया जाएगा। समय से आलू बीज उपलब्ध कराया जाएगा।

समिति के प्रदेश सचिव लक्ष्मीनरायन बघेल और किसान नेता श्याम सिंह चाहर ने बताया कि आगरा में आलू की खेती लगभग 70 से 80 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में होती है। बुवाई अक्टूबर-नवंबर में होती है, लेकिन इसकी तैयारी किसान अगस्त-सितंबर से ही शुरू कर देते हैं। इस तैयारी में किसानों की सबसे बड़ी चिंता डीएपी खाद की कमी और रियायती दर पर उत्तम गुणवत्ता वाले आलू बीज की अनुपलब्धता है।

कोल्ड स्टोर भाड़ा और सब्सिडी

किसानों ने कहा कि इस बार आलू का दाम उचित नहीं मिल पाया। इसलिए सरकार को चाहिए कि कोल्ड स्टोर का भाड़ा कम करे और सब्सिडी सीधे किसानों को दे, न कि व्यापारियों को।

उच्चकोटि के बीज और ट्रैक्टर की मांग

किसानों का आरोप है कि उद्यान विभाग द्वारा दिए जाने वाले 20 एचपी ट्रैक्टर खेती के लिए पर्याप्त नहीं हैं। इसके स्थान पर अधिक क्षमता वाले ट्रैक्टर उपलब्ध कराए जाएं। साथ ही सब्जी, फल और आलू के बीज उच्चकोटि के होने चाहिए ताकि उत्पादन बढ़े। किसानों ने कहा कि आगरा जनपद में खाद की भारी कमी है, जिससे उनकी बुवाई प्रभावित हो रही है। सरकार को तत्काल पर्याप्त मात्रा में खाद उपलब्ध करानी चाहिए

कोल्ड स्टोर व्यापार व्यवस्था

किसानों ने यह भी मांग की कि आलू की बिक्री केवल लाइसेंसधारक व्यापारियों को ही अधिकृत की जाए और उनकी सूची किसानों को दी जाए। इससे न केवल धोखाधड़ी रुकेगी बल्कि राजस्व की चोरी भी नहीं होगी। अधिक वर्षा से फसलें बर्बाद होने का मुआवजा, केसीसी ऋण माफी की मांग के साथ ही नहरों की सफाई समय पर कराने की मांग भी उठाई गईं।

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