
आगरा और आसपास के आलू उत्पादक जिलों के किसानों के लिए वरदान साबित होगा यह शोध केंद्र
आगरा, 2 मई। आगरा जनपद के राजकीय आलू फार्म सींगना में अंतरराष्ट्रीय आलू शोध संस्थान की शाखा खोली जाएगी। इसके लिए तमाम शीर्ष स्तर के भारत और राज्य सरकार के अधिकारी मंगलवार को आगरा आए। जिनमें डीडीजी हार्टीकल्चर डा. एके सिंह, भारत सरकार के मिशन डायरेक्टर मनोज कुमार, डायरेक्टर सीआईपी (एशिया) डा. मोहंती, उत्तर प्रदेश के उद्यान निदेशक डा.आर के तोमर थे। इनको दौरा उपनिदेशक उद्यान कौशल कुमार ने कराया। उन्होंने सींगना में मौका मुआयना किया।जिसमें उन्होंने सींगना की जमीन को आलू शोध संस्थान के लिये उपयुक्त माना है। अब इस संबंध में एक उच्च स्तरीय बैठक दिल्ली में होगी। जिसमें इस संबंध में फैसला लिया जाएगा। यह समिति अपनी रिपोर्ट कृषि सचिव भारत सरकार को देगी। तब उनके स्तर से इस संबंध में फैसला लिया जाएगा।
इस संबंध में उपनिदेशक उद्यान कौशल कुमार ने बताया कि यह अंतरराष्ट्रीय केंद्र अगर ताजनगरी में स्थापित हो जाता है तो इससे आगरा ही नहीं बल्कि आसपास के जिलों के आलू किसानों के लिए वरदान साबित होगा। उन्हें विश्व भर में उगाये जाने वाले आलू बीज की प्रजातियां आगरा में ही मिलने लगेंगी।जो कि एक्सपोर्ट क्वालिटी की होंगी। इससे स्तरीय आलू की पैदावार आगरा में होने लगेगी। इस आलू को आसानी से विदेश में निर्यात किया जा सकेगा।
ज्ञातव्य है कि भारतवर्ष चीन के पश्चात द्वितीय सर्वाधिक आलू उत्पादक देश है। भारत में लगभग 21 लाख हैक्टेयर क्षेत्रफल में आलू का उत्पादन होता है। उत्तर प्रदेश भारत का सर्वाधिक आलू उत्पादक राज्य है तथा यहाँ पर लगभग 6.15 लाख हैक्टेयर क्षेत्रफल में आलू का उत्पादन होता है।उत्तर प्रदेश में उत्पादित आलू के निर्यात की असीम सम्भावना है किन्तु निर्यात हेतु उपयुक्त प्रजातियों के उपलब्ध न होने के कारण यहाँ से आलू का निर्यात नहीं हो पाता है। कृषकों की आय में वृद्धि करने के लिए आवश्यक है कि उनको उच्चगुणवत्तायुक्त, रोगमुक्त, प्रसंस्करण / निर्यात के लिए अनुकूल प्रजातियाँ एवं गुणवत्तायुक्त बीज उचित मूल्य पर आवश्यक मात्रा में उपलब्ध कराया जा सके। वर्तमान में केन्द्रीय आलू अनुसंधान संस्थान देश में आलू पर अनुसंधान करने वाली अकेली संस्था है। यद्यपि केन्द्रीय आलू अनुसंधान संस्थान ने उच्च उत्पादन वाली विभिन्न आलू प्रजातियों को विकसित किया है तथापि प्रदेश में अभी भी प्रसंस्करण एवं निर्यात योग्य आलू प्रजातियों का अत्यन्त अभाव है। इसके अतिरिक्त यह भी अवगत कराना है कि उच्च गुणवत्तायुक्त आलू बीज की माँग व पूर्ति में काफी अन्तर होने के कारण क्षेत्र के कृषकों एवं स्थानीय जनप्रतिनिधियों द्वारा बुवाई के समय आलू बीज की भारी मात्रा में मांग की जाती है जिसकी आपूर्ति सम्भव नहीं हो पाती है।
अन्तरराष्ट्रीय आलू केन्द्र, पेरू, साउथ अमेरिका विश्व में आलू पर अनुसंधान करने वाला सर्वोच्च संस्थान है ।यह संस्थान वर्ष 1971 से इस क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य कर रहा है अन्तरराष्ट्रीय आलू केन्द्र की दक्षिण एशिया में कोई अनुसंधान शाखा नहीं है। अतः विश्व के द्वितीय सर्वाधिक आलू उत्पादक देश भारत में अन्तरराष्ट्रीय आलू अनुसंधान केन्द्र की शाखा खोली जानी नितान्त आवश्यक है। आलू उत्पादक कृषकों की उन्नति हेतु अन्तरराष्ट्रीय आलू केन्द्र की महत्ता को देखते हुए प्रदेश के मा0 मुख्यमंत्री द्वारा मा0 मंत्री जी कृषि सहकारिता एवं किसान मंत्रालय से अन्तरराष्ट्रीय आलू अनुसंधान केन्द्र की एक शोधशाखा प्रदेश में स्थापित किये जाने हेतु अनुरोध किया जा चुका है।
आगरा मण्डल प्रदेश का सर्वाधिक आलू उत्पादक मण्डल है। इस मण्डल में प्रदेश के कुल आलू उत्पादन का लगभग एक तिहाई आलू उत्पादित होता है। प्रदेश का अधिकतम आलू आगरा मण्डल एवं आगरा मण्डल के नजदीकी मण्डल यथा अलीगढ एवं कानपुर में होता है ।आगरा मण्डल के जनपद आगरा की जलवायु व मिट्टी आलू उत्पादन के लिए अत्यन्त उपयुक्त है। जनपद आगरा में राजकीय आलू प्रक्षेत्र, सींगना में अन्तरराष्ट्रीय आलू अनुसंधान केन्द्र की शाखा खोले जाने हेतु पर्याप्त राजकीय भूमि उपलब्ध है। यह प्रक्षेत्र आगरा मथुरा राष्ट्रीय राज्य मार्ग-2 पर जनपद आगरा से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
अन्तरराष्ट्रीय आलू केन्द्र की शोध शाखा खुलने से होने वाले संभावित लाभों का संक्षिप्त विवरण :- 1. विश्व की दुलर्भ एवं सर्वश्रेष्ठ आलू किस्मों के जर्म प्लाज्म की सहजतापूवर्क उपलब्धता एवं श्रेष्ठतम आलू प्रजातियों का विकास।2. आलू की उच्च उपज वाली, निर्यात व प्रसंस्करण योग्य, जलवायु के अनुकूल, रोगों व कीटों से प्रतिरोधक, पोषक तत्वों से भरपूर एवं लम्बे समय तक संग्रहण योग्य प्रजातियों के विकास में सहायता 3. औषधीय गुणों से युक्त (बायोफोर्टिफाइड) एवं रंगीन आलू को उत्पादन करने में सहायता 4. नवीन प्रसंस्करण योग्य प्रजातियों का विकास से वृहद एवं लघु स्तर पर खाद्य प्रसंस्करण की इकाईयों की स्थापना।
5. देश के दूरस्थ दक्षिण एवं पूर्वोत्तर राज्यों हेतु परिवहन योग्य प्रजातियों के विकसित होने से यहां के नागरिकों को उचित मूल्य पर आलू की उपलब्धता एवं पोस्ट हार्वेस्ट क्षति को कम किये जाने में सहायता । उच्च गुणवत्तायुक्त बीज उत्पादन हेतु कृषकों को अन्तराष्ट्रीय स्तर का प्रशिक्षण दिया जाना सम्भव होना। आलू उत्पादक कृषकों की आग में वृद्धि एवं उनके जीवन स्तर में अपेक्षित सुधार होगा।