
32 साल बाद भी हिंदी पत्रकारिता की दशा वही हैः भूपेन्द्र कुमार, वरिष्ठ स्थानीय संपादक, अमर उजाला आगरा
आगरा के वरिष्ठ पत्रकार, फोटो जर्नलिस्ट और पत्रकार-पार्षदों का किया गया सम्मान
आगरा, 30 मई।दिल्ली से आए वरिष्ठ पत्रकार अमर उजाला और हिंदुस्तान के पूर्व संपादक अजय उपाध्याय का कहना है कि हिंदी पत्रकारिता के सामने तीन बड़ी चुनौतियां हैं और ये हैं कृत्रिम बौद्धिकता यानी ए.आई., चैट जीपीटी और मशीन लर्निंग। विज्ञापन की बात करें तो हमारा सबसे बड़ा दुश्मन गूगल है। वहीं अंबेडकर विवि की कुलपति प्रो. आशुरानी ने कहा कि चुनौतियों से जूझते पत्रकारों की सुख सुविधाओं पर भी ध्यान दिया जाए। उन्होंने कहा कि पत्रकारों को अगर अच्छा वेतन मिलेगा तो वे अपने काम को और अच्छे से अंजाम दे सकेंगे।
पत्रकारिता के सामने सबसे बड़ी चुनौती तकनीकी परिवर्तन की
श्री उपाध्याय ताज प्रेस क्लब आगरा द्वारा घटिया आजम खान स्थित कार्यालय में 30 मई को हिंदी पत्रकारिता दिवस पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी और सम्मान समारोह को मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे थे। विषय था- वर्तमान परिदृश्य में हिंदी पत्रकारिता और चुनौतियां। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि पत्रकारिता कहीं नहीं जा रही है और न ही किसी संकट से गुजर रही है। पत्रकारिता का भविष्य उज्जवल है, बस हमें तकनीक का गुलाम नहीं बनना है। पत्रकारिता के सामने सबसे बड़ी चुनौती तकनीकी परिवर्तन की है। बदलते युग में पत्रकारिता कैसे बदल रही है, यह देखना होगा। श्री उपाध्याय ने 1826 में जुगल किशोर शर्मा द्वारा प्रकाशित प्रथम हिंदी अखबार उदंत मार्तंड का हवाला देते हुए कहा कहानी रोचक होगी, कथ्य मजबूत होगा, दिल को छू लेने वाला होगा, आंखों में आंसू ला देने वाला होगा या दिल को दुखाने वाला होगा तो वह चलेगा।

कंटेट रोचक तो विज्ञापन की भीख मांगना बंद हो जाएगा
मीडिया के आर्थिक पक्ष के बारे में श्री उपाध्याय ने कहा कि मीडिया इंडस्ट्रीज सिर्फ 25 बिलियन डॉलर की है। मीडिया सिर्फ विज्ञापन पर निर्भर है लेकिन इस विज्ञापन ने दूसरे रास्ते देख लिए हैं। विज्ञापन से गूगल को 226 बिलियन डॉलर की आमदनी होती है, उसके सामने हम कुछ भी नहीं हैं। इस तरह से गूगल हमारा सबसे बड़ा दुश्मन है। हमने गूगल से अपने कंटेंट की कीमत नहीं वसूली है। पाकिस्तान, बांग्लादेश में अखबार ₹20 का है लेकिन हमारे यहां ऐसा नहीं है। हमारा कंटेंट ऐसा हो कि उसकी कीमत लगे। न्यूयॉर्क टाइम्स में अपने डिजिटल को सुधारा और आज एक बिलियन डॉलर की आमदनी कर रहा है। अमेजन को विज्ञापन से $25 बिलियन की आमदनी होती है जबकि वह सामान बेचता है। जब हम विज्ञापन के लिए किसी के दरवाजे पर भीख मांगना बंद कर देंगे तो लोग खुद आएंगे और इसके लिए हमें अपना कंटेंट रोचक करना होगा।
रिसर्च का कॉलम दें
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि एवं डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर आशु रानी ने कहा- मैं आगरा की बेटी हूँ। खुशी है कि अपने मायके में कुलपति पद पर आसीन हूँ। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता चेतना की संवाहक है। हिंदी पत्रकारिता का उद्गम भारतेन्दु से पहले हो गया था। विवेकानंद और रवीन्द्रनाथ टैगोर के समय में भी पत्रकारिता होती थी। जहां तक चुनौतियों की बात है तो वह है इकोनॉमी की चुनौती। पत्रकारों का वेतन ठीक हो तो और अधिक दृढ़ता से काम कर सकते हैं। ए.आई., तकनीक और चैट जीपीटी भी चुनौती है। हम रिसर्च का कॉलम दें कि किस प्रकार से पत्रकारिता को बेहतर कर सकते हैं।
पत्रकारों को मिलने वाले पैसे पर भी बात होनी चाहिए
अमर उजाला आगरा के वरिष्ठ स्थानीय संपादक भूपेन्द्र कुमार ने कहा- हिंदी पत्रकारिता दिवस पर ताज प्रेस क्लब की बिल्डिंग हिंदी पत्रकारिता को दर्शा रही है। देखा जाए तो 32 साल बाद भी हिंदी पत्रकारिता की दशा वही है। जोश में पत्रकार तो बन जाते हैं लेकिन जीवन के मध्यकाल में पैसे की जरूरत पूरी नहीं होती है लेकिन इस पेशे को हमने अपनी च्वाइस से चुना है। मेरा मानना है कि पत्रकारों को मिलने वाले पैसे पर भी बात होनी चाहिए। दिल्ली और चंडीगढ़ के प्रेस क्लब को देखो, प्रेस क्लब ऐसा हो जहां आराम से बात कर सकें। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी अखबार नहीं पढ़ रही है, यह भी चुनौती है।

सकारात्मक समाचार भी छापें
भाजपा विधायक पुरुषोत्तम खंडेलवाल ने कहा कि अखबारों में नकारात्मक ही नहीं सकारात्मक समाचार भी छापें तो अच्छा रहेगा। अफसर और राजनेता कैसे होने चाहिए, यह भी प्रकाशित किया जाए। पत्रकार, राजनेताओं का निर्माण करते हैं। भविष्य में अच्छे नेता पैदा होते रहें तो समाज हित होगा और राजनीतिक लोग ठीक तो देश भी ठीक होगा। अच्छी बात यह है कि पूरे देश में हिंदी अखबार हैं लेकिन जिस कोलकाता से हिंदी अखबार शुरू हुआ वहां हिंदी का अखबार ढूंढना पड़ता है। उन्होंने बताया कि पत्रकारों के सहयोग से ताजमहल के पास स्थित श्मशान घाट को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी नहीं हटाया जा सका।
अखबार हम जैसे लोगों के भविष्य का निर्माण भी करता है
डीएम की ओर से एडीएम ने शुभकामनाएं दीं
जिलाधिकारी नवनीत सिंह के प्रतिनिधि के रूप में आए अपर जिलाधिकारी (प्रशासन) अजय कुमार सिंह ने हिंदी पत्रकारिता दिवस पर सभी को बधाई दी।
पत्रकारिता कभी मरेगी नहीं
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए ताज प्रेस क्लब के अध्यक्ष सुनयन शर्मा ने कहा युवा पीढ़ी अखबार पढ़ना नहीं चाहती है क्योंकि उसकी रुचि की सामग्री नहीं है लेकिन पत्रकारिता कभी मरेगी नहीं। क्लब के महासचिव केपी सिंह ने आभार प्रकट किया। संचालन ताज प्रेस क्लब आगरा के उपाध्यक्ष डॉ. भानु प्रताप सिंह ने किया। सम्मान समारोह का संचालन जगत नारायण शर्मा ने किया।