नई दिल्ली में केंद्रीय विधि मंत्री से मुलाकात के दौरान आगरा के अधिवक्ता। साथ हैं सांसद राज कुमार चाहर।
नई दिल्ली। फतेहपुर सीकरी के सांसद राजकुमार चाहर के नेतृत्व में मंगलवार को आगरा के वरिष्ठ अधिवक्ताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने केंद्रीय विधि मंत्री अर्जुन राम मेघवाल से भेंट की। इस मुलाकात का उद्देश्य आगरा में उच्च न्यायालय की खंडपीठ की स्थापना की लंबे समय से चली आ रही मांग को लेकर ठोस पहल करना था। प्रतिनिधिमंडल ने मुलाकात के दौरान जसवंत सिंह आयोग की रिपोर्ट को आधार बनाते हुए विस्तार से चर्चा की और आगरा के पक्ष में स्पष्ट दावेदारी प्रस्तुत की।
सांसद राजकुमार चाहर ने विधि मंत्री के समक्ष इस बात को प्रमुखता से रखा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा गठित जसवंत सिंह आयोग ने आगरा को खंडपीठ के लिए सर्वाधिक उपयुक्त माना था। प्रतिनिधिमंडल ने यह भी स्पष्ट किया कि आयोग की सिफारिशों को सभी पक्षों द्वारा स्वीकार करने की शर्त पर ही इसका गठन हुआ था, इसलिए आगरा को खंडपीठ का पहला अधिकार मिलना चाहिए।
प्रतिनिधिमंडल और विधि मंत्री के बीच यह बैठक लगभग 40 मिनट तक चली, जिसमें खंडपीठ की आवश्यकता, कानूनी आधार और क्षेत्रीय न्याय की उपलब्धता जैसे बिंदुओं पर गंभीर चर्चा हुई। केंद्रीय विधि मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने सभी तर्कों को ध्यानपूर्वक सुना और प्रतिनिधिमंडल को आश्वस्त किया कि आगरा के साथ न्याय होगा। उन्होंने यह भी भरोसा दिलाया कि इस विषय को जल्द प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष प्रस्तुत कर सार्थक पहल की जाएगी।
प्रतिनिधिमंडल में ये अधिवक्ता थे
विधि मंत्री से मिले प्रतिनिधिमंडल में सुभाष बाबू परमार – अध्यक्ष, आगरा बार एसोसिएशन, मनीष कुमार सिंह एडवोकेट – संयोजक, उच्च न्यायालय खंडपीठ स्थापना संघर्ष समिति, विनोद शुक्ला – सचिव, आगरा बार एसोसिएशन, मुकेश शर्मा – सचिव, संघर्ष समिति, अनूप शर्मा – चेयरमैन, संघर्ष समिति, आधार शर्मा – प्रवक्ता, नरेंद्र शर्मा, हेमेंद्र शर्मा, अरविंद मिश्रा, अर्जुन सिंह, आनंद शर्मा, दुर्ग विजय सिंह भैया, बृजराज सिंह परमार, वीरेंद्र फौजदार, शैलेंद्र रावत, आमिर खान, कर्मवीर सिंह सिकरवार, अजीत सिंह, अमित गौतम, देवेंद्र ठाकरे, भारत सिंह, हिरदेश यादव, जीतू चौधरी, चौधरी अजय सिंह, अरुण सोलंकी, सर्वेश कुलश्रेष्ठ, पवन कुमार सहित अनेक वरिष्ठ अधिवक्ता मौजूद रहे। प्रतिनिधिमंडल ने संयुक्त रूप से कहा कि जब तक आगरा को उसका न्यायिक अधिकार नहीं मिल जाता, संघर्ष जारी रहेगा।