दस पैक हाउस मंजूर न करना भारी पड़ा उपनिदेशक उद्यान को

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आगरा, 23 अप्रैल। उद्यान विभाग  और किसानों के मध्य आलू बीज उत्पादन केंद्र सींगना को लेकर चल रहे  आरोप-प्रत्यारोप की जड़ में पैक हाउस तो नहीं हैं। जिनको लेकर विवाद बढ़ता ही जा रहा है। किसान नेता एक नहीं दो मजिस्ट्रेटों से सींगना मामले की जांच करा रहे हैं।
सूत्रों की मानें तो आगरा जनपद में दस पैक हाउस जिला स्तर से मंजूर किये गये हैं। इसमें प्रत्येक किसान को एक पैक हाउस के लिये सरकार द्वारा दो लाख रुपये दिये जाते हैं। इनको अंतिम मंजूरी देने का अधिकार उपनिदेशकउद्यान डा. धर्मपाल सिंह को है। उन्होंने ये पैक हाउस स्वीकृत करने के पहले शर्त लगा दी कि स्वयं वे मौके पर जाकर मुआयना करेंगे कि मानक के अनुसार पैक हाउस बने हैं कि नहीं। बस इसी पर बात बिगड़ गयी। उद्यान विभाग के अनुसार पैक हाउस के लिये  6 बाई नौ का एक हाल बनाना होता है।  जिसमें आलू भंडारण किया जा सके। इसके अलावा वहां पेजयल , छाया, किसानों के बैठने आदि की व्यवस्था करनी होती है। उपनिदेशक डा. धर्मपाल सिंह यादव का कहना है कि जब ये पैकहाउस मानक के अनुसार बनैंगे, तभी मैं पैसा स्वीकृत करूंगा। जबकि कुछ लोग पैक हाउस बनाये बगैर ही पैसा यानी दो लाख रुपये निकालना चाह रहे थे। इस पर मैंने रोक लगा दी तो मेरे खिलाफ ही आरोप  प्रत्यारोप लगा दिये गये।

4500 कुंतल आलू बीज पैदा हुआ सींगना में

उपनिदेशक उद्यान डा. धर्मपाल सिंह का कहना है कि सींगना स्थित आलू बीज उत्पादन केंद्र पर 4500 कुंतल आलू का बीज उत्पादन हुआ है। जिसमें से लगभग चार हजार कुंतल आलू बीज तो लखनऊ और मेरठ स्थित सरकारी शीतगृहों में रखवा दिया गया है। इसके पश्चात उन शीतगृहों में जगह नहीं रही तो निदेशालय के आदेश पर लगभग 450 कुंतल आलू आगरा के शीतगृह में रखवा दिया गया है। अन्य जो खराब आलू सड़ा गला,कटा-पिटा था, उसको नीलाम कर दिया गया। जो धनराशि मिली वह सरकारी खाते में जमा हो गयी।

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