——– आगरा नगर निगम की कान्हा गौशाला में की जा रही अनूठी पहल
—— नगर निगम परिसर में लव यू जिंदगी फाउंडेशन के सहयोग से लगाई गई स्टॉल
आगरा। इस बार होली के अवसर पर आगरा नगर निगम की कान्हा गौशाला ने एक विशेष पहल की है। मंदिरों से एकत्र किए गए फूलों, पवित्र गोबर और ब्रज की पावन मिट्टी (रमन रज) से जैविक रंग तैयार किए जा रहे हैं। ये रंग न केवल पर्यावरण के अनुकूल हैं, बल्कि आध्यात्मिक रूप से भी अधिक पवित्र माने जा रहे हैं।
नगर निगम का यह प्रयास होली को रासायनिक रंगों से मुक्त करना, गौशाला को आत्मनिर्भर बनाना और ब्रज क्षेत्र के हर व्यक्ति को इस पवित्र धरा से जोड़ना है। यह पहली बार है कि ब्रज क्षेत्र के लोग गौशाला में बने प्राकृतिक रंगों के माध्यम से ब्रज की पवित्र मिट्टी से सजीव रूप से जुड़ पाएंगे।
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महापौर हेमलता दिवाकर कुशवाहा ने इस पहल को ऐतिहासिक बताते हुए कहा,”ब्रज क्षेत्र में जन्मी होली की परंपरा को और पवित्र बनाने के लिए यह एक अनूठा प्रयास है। रमन रज के समावेश से ये जैविक रंग आध्यात्मिकता का एक विशेष प्रतीक बन गए हैं। नगर निगम की इस पहल से लोग रासायनिक रंगों से बचकर गौमाता की सेवा में भी योगदान दे सकेंगे। मैं आगरा के नागरिकों से अपील करती हूं कि वे इस होली पर इन पवित्र जैविक रंगों का उपयोग करें और अपने त्योहार को और अधिक शुभ बनाएं।”
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नगर आयुक्त अंकित खंडेलवाल ने कहा,”नगर निगम द्वारा गौशाला को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है। इन जैविक रंगों के माध्यम से लोगों को ब्रज की पवित्र मिट्टी से जोड़ने का विशेष प्रयास किया गया है। यह पहल आने वाले वर्षों में और व्यापक रूप से अपनाई जाएगी, जिससे पर्यावरण और संस्कृति दोनों को लाभ मिलेगा।”
इस संबंध में जानकारी देते हुए पशु कल्याण अधिकारी डॉ. अजय कुमार सिंह बताया कि गौशाला में तैयार किए गए ये रंग पूरी तरह से प्राकृतिक हैं। इनमें मंदिरों के चढ़े हुए फूलों, गाय के गोबर और रमन रज का उपयोग किया गया है। रमन रज का समावेश इन रंगों को और अधिक पवित्र बनाता है, जिससे लोग केवल रंग खेलेंगे नहीं, बल्कि ब्रज की पवित्र मिट्टी का स्पर्श भी अनुभव करेंगे।
—–नगर निगम परिसर में मिलेगा जैविक गुलाल—–
ये जैविक रंग नगर निगम परिसर में लगे विशेष स्टॉल पर उपलब्ध होंगे। इस पहल में रंगों को बनाने एवं विक्रय का कार्य ‘लव यू जिंदगी फाउंडेशन’ के प्राकुंर जैन के सहयोग से किया जा रहा है l नगर निगम स्थित स्टॉल पर छोटी होली तक लगातार इसकी बिक्री की जाएगी। छुट्टी के दिन भी स्टॉल खुलेगी । उन्होंने शहरवासियों से अपील की है कि वे इस बार रासायनिक रंगों के बजाय इन पवित्र और प्राकृतिक रंगों का उपयोग करें और एक पर्यावरण-अनुकूल, आध्यात्मिक और मंगलमय होली मनाएं।