आगरा, 5 मार्च। बैकुण्ठी देवी कन्या महाविद्यालय, आगरा उर्दू विभाग द्वारा विश्वविख्यात शायर मिर्जा गालिब को याद किया गया। उर्दू विभाग के ‘बज़्म-ए-अदब’ में सबसे पहले ‘कहते हैं कि ग़ालिब का है अन्दाज़-ए-बयाँ और पर संगोष्ठी का आयोजन हुआ। जिसमें उर्दू विभाग की छात्राओं ने अपने विचार प्रकट किये। छात्राओं ने विशेष रूप से गालिब और आगरा से उनके रिश्तों पर प्रकाश डाला और इस बात की खुशी का इजहार किया कि विश्वविख्यात शायर मिर्ज़ा ग़ालिब हमारे शहर आगरा के हैं।
इसके उपरान्त उर्दू विभागाध्यक्ष प्रो. नसरीन बेगम ने दिवान-ए-गालिब के पहले शेर ‘नक्श फरयादी है किसकी शोखिये तहरीर का कागजी है पैरहन हर पैकरे तस्वीर का से अपनी बात शुरू की गालिब आगरा के हैं और गालिब को आगरा की सरजमीन से बेहद मोहब्बत थी। आज हम उन्हें याद कर रहे हैं।संगोष्ठी के बाद विश्वविख्यात गजल गायक सुधीर नरायण का परिचय प्रो. नसरीन बेगम ने कराया और यह कहा कि सुधीर नरायण हकीकत में किसी तारूफ के मोहताज नहीं हैं। वो आगरा की शान हैं क्योंकि मिर्जा गालिब के साथ उनका नाम जुड़ गया है। प्राचार्या प्रो. पूनम सिंह ने खूबसूरत हरा-भरा पौधा और बेहद खूबसूरत पेन्टिंग देकर उनका महाविद्यालय में स्वागत किया।
इसके बाद विश्वविख्यात हमारे अपने शहर के सुधीर नारायण ने मिर्ज़ा ग़ालिब की गज़लों को अपनी खूबसूरत आवाज में पेश किया। महाविद्यालय की सभी छात्राओं ने मिर्जा गालिब को जाना, पहचाना और उनकी गजलों से लुत्फ अन्दोज हुयीं। उन्होंने ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिंश पर दम निकले। अहमद फाज की गज़ल रंजिश ही सही और अमीर खुसरो की छप तिलक पर लुत्फ अन्दाजे हुयीं।सुधीर नारायण ने यह कहा कि हमने हिन्दुस्तान और हिन्दुस्तान से बाहर सैकड़ों प्रोग्राम किये मगर बैकुण्ठी देवी की छात्राओं ने जिस दिलचस्पी से गालिब की गज़लों को सुनकर लुत्फ उठाया अपने शहर के ही ग़ालिब को समझा जो वह मेरे लिये बहुत खास है।
इसके बाद अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में प्राचार्या प्रो. पूनम सिंह ने कहा कि गालिब वह महान शायर थे जो पूरी दुनियों में पसन्द किये जाते हैं। 227 वर्ष बीतने के बाद भी आज गालिब जिंदा है। छात्राओं को गालिब को पढ़ने के लिये प्रोत्साहित किया। उन्होंने विश्वविख्यात गजल गायक सुधीर नरायण के महाविद्यालय आकर अपनी प्रस्तुति देने पर आभार व्यक्त किया। उन्होंने यह भी कहा कि यह हमारे महाविद्यालय के लिये हर्ष का विषय है कि उर्दू विभाग ने मिर्जा गालिब को याद करने के लिये सेमिनार और गालिब की गज़लों को सुधीर नरायण जी की आवाज में सुनने का अवसर प्रदान किया, मैं प्रो. नसरीन को बधाई देती हैं।इस अवसर पर महाविद्यालय का पूरा स्टाफ व सैकड़ों की संख्या में छात्रायें मौजूद रहीं। बी.ए. चौथे सेमेस्टर की छात्रा इल्मा रफी और बी.एस.सी. की छात्रा को उनके शोध पत्र पर सर्टिफिकेट दिये गये।धन्यवाद व संचालन प्रो. नसरीन बेगम ने किया।हैं और भी दुनियाँ में सोखनवर बहुत अच्छे, कहते हैं कि गालिब का है अन्दाज़ बयाँ और अन्त में राष्ट्रगान के बाद समारोह का समापन हुआ।