आगरा, 8 अप्रैल। हिमाचल प्रदेश गुरद्वारा बरू साहिब तपोभूमि यानी ध्यान की भूमि 1867 में जन्मे संत अत्तर सिंह मुस्तएन वालो के एक सपने की सच्चाई गुरद्वारा बरू साहिब के विद्यार्थी जत्थे द्वारा पुरातन समय गुरु नानक जी वह मर्दाना के समय के तांती साज़ से कीर्तन की हाजिरी दी। संत अत्तर सिंह जी की कृपा का सदका धन धन श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की हजूरी में शब्द कीर्तन का गायन 1, संत का मारग धरम की पउड़ी,, 2,जह सिमरत गत पाइह,, 3,जा तु मेरे वल है ता क्या मुछन्दा,,,नन्हे मुन्ने बच्चों ने अपनी कविता कीर्तन से एकाग्रता एकचित कर गुरुघर से जोड़ा। श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की हजूरी में अमोलक कीर्तन अमृतवाणी कीर्तन किया सुखमनी सेवा सभा के वीर महेंद्रपाल सिंह ने शब्द का गायन किया सो ऐसा हर नाम धियाईये मन मेरे,,,अर्थात उन्होंने बताया नाम के आसरे सब कुछ है पर नाम किसी के आसरे नही है सांसारिक शिक्षा के साथ धार्मिक शिक्षा का होना बहुत जरूरी है । हजूरी रागी भाई मेजर सिंह ने कीर्तन द्वारा संगतो को गुरु घर से जोड़ा । भव्य सजे धन धन श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के भव्य सजे दीवान बोले सो निहाल सत श्री अकाल के जयकारों के साथ संगतो ने पंक्तिबद होकर मत्था टेका।
ज्ञानी रविंद्र सिंह द्वारा अरदास हुकुमनामा के साथ सभी धर्म प्रेमियों ने गुरु का लंगर ग्रहण किया। मुख्य रूप से हिमाचल प्रदेश के बाबा देवेंद्र सिंह गुरद्वारा बरू साहिब के मुखी मौजूद रहे प्रधान अरजिंदरपाल सिंह द्वारा उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय जी को गुरु का सरोपा पहनाकर सम्मान किया। कीर्तन दरबार में मुख्य रूप से मौजूद रहे
प्रधान अरजिंदरपाल ,अजीत सिंह मक्कर, अरविंद चावला, रेंद्र सिंह लालिया, गुरसेवक श्याम भोजवानी, रंजीत सिंह, जयमल सिंह, मलकीयत सिंह, जसबीर सिंह, तरनजीत पुरी, तजेंद्र सिंह, गुरप्रीत सिंह, बलविंदर सिंह, परमीत चड्डा, तेजपाल सिंह, एसएस भिंडर, नरेंद्र सिंह, सिख यूथ वेलफेयर ऑर्गेनाइजेशन के वीरों का विशेष सहयोग रहा।