आगरा, 28 मार्च। सिंधी भाषा के उत्थान के लिए रणनीति तैयार की गई है। समाज के बुजुर्गों को इस बात की चिंता है कि युवा पीढ़ी अपनी संस्कृति से दूर हो रही है। ऐसे में युवाओं को अपनी सांस्कृतिक पहचान से जोडऩे के लिए सिंधी भाषा का अधिक से अधिक प्रयोग किया जाए।दरेसी स्थित होटल लाल्स इन में सिंधी सेंट्रल पंचायत की बैठक में सिंधी भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए मंथन किया गया। बैठक में इस बात पर चिंता व्यक्त की गई कि सिंधी भाषा को अपनों की वजह से ही नुकसान हुआ है। हमने अपनी बोली से दूरी बना ली है। इस वजह से युवा पीढ़ी अपनी संस्कृति से दूर हो रही है। इससे सिंधी संस्कृति पर भी आंच आ रही है।
बैठक की अध्यक्षता करते हुए सिंधी सेंट्रल पंचायत के अध्यक्ष चंद्र प्रकाश सोनी ने कहा कि सिंधी भाषा पर बहुत काम करने की जरूरत है। आज की पीढ़ी ने सिंधी भाषा से दूरी बनाई है, तो इसके लिए कहीं न कहीं वरिष्ठ पीढ़ी के प्रयासों की कमी बड़ा कारण है। अनुभवी व वरिष्ठ पीढ़ी को आगे आना होगा। नई पीढ़ी को अपनी भाषा की अहमियत समझानी होगी।ये जानकारी मीडिया प्रभारी मेघराज दियालानी ने दी
घनश्याम दास देवनानी ने कहा कि कोई भी भाषा बोलना बच्चा अपनी मां से सीखता है। मातृ भाषा बच्चे की पहचान होती है। घरों में जब मां अपने बच्चे को सिंधी सिखाएगी तभी वह सिंधी भाषा का महत्व समझेगा। गागन दास रमानी ने कहा कि वर्तमान समय में सिंधी समाज के लोगों द्वारा सिंधी भाषा नहीं बोलने के कारण समाज के बच्चे सिंधी भाषा व संस्कृति से दूर होते जा रहे हैं। पाश्चात्य का असर उन्हें अपनी जमीन से दूर कर रहा है। परिवार को और अनुभवी लोगों को नई पीढ़ी का स्कूल बनना होगा।
सिंधी सेंट्रल पंचायत के मुख्य संरक्षक जीवत राम करीरा, गागन दास रमानी,अध्यक्ष चंद्र प्रकाश सोनी, घनश्याम दास देवनानी, किशोर बुधरानी,मीडिया प्रभारी मेघराज दियालानी,जयराम दास होतचंदानी, राज कोठरी,परमानंद आतवानी, नंदलाल आयलानी, नरेश देवनानी, राजकुमार गुरनानी, दौलत खुबनानी,अमृत मखीजा, रोहित आयलानी, सुशील नोतनानी,राज कुमार गुरनानी,अशोक पारवानी, लक्षमण गोकलानी,जगदीश डोडानी, जयप्रकाश केशवानी, अशोक कोडवानी आदि मौजूद रहे।