स्टाम्प कमी के वादों की समाधान योजना 31 मार्च, 2025 की अवधि तक रहेगी प्रभावी, बिना जुर्माना स्टाम्प वादों से मिलेगा छुटकारा, नहीं देना पड़ेगा अर्थदंड

Press Release उत्तर प्रदेश

स्टाम्प कमी के वादों की समाधान योजना स्टाम्प व रजिस्ट्रेशन विभाग ने पुनः की लागू, संबंधित पक्षकार योजना का उठाएं लाभ

पक्षकार अन्तिम तिथि से पूर्व पुष्टि की गई स्टाम्प कमी की धनराशि नियमानुसार ब्याज एवं रु० 100/- के टोकन अर्थदण्ड की धनराशि के साथ जमा करने पर होगा योजना का लाभ प्राप्त

आगरा.30.12.2024.जिलाधिकारी अरविंद मल्लप्पा बंगारी  ने अवगत कराया है कि स्टाम्प कमी के वादों की समाधान योजना शासन द्वारा स्टाम्प व रजिस्ट्रेशन विभाग के अंतर्गत पुनः लागू की गई है।
उन्होंने बताया कि प्रदेश स्तर पर स्टाम्प वादों के निस्तारण की विवेचना से यह तथ्य प्रकाश में आया है कि इन वादों के निर्णय में बहुधा अतार्किक एवं बिना सम्यक आधार के आरोपित अत्यधिक अर्थ-दण्ड समाप्त कराने हेतु अपील/रिट योजित की जाती है। इस कारण राज्य सरकार को स्टाम्प कमी की मूल धनराशि समय से प्राप्त नहीं हो पाती है एवं प्रकरण अनावश्यक रूप से मुकदमेबाजी में उलझ जाता है।
स्टाम्प वादों के त्वरित निस्तारण के लिए, उसमें निहित स्टाम्प कमी की धनराशि को शीघ्रातिशीघ्र प्राप्त करने के लिए तथा जन-सामान्य को अधिकाधिक सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से शासन द्वारा सम्यक विचारोपरांत स्टाम्प कमी के वादों की एक समाधान योजना लागू किये जाने का निर्णय लिए गया है। प्रदेश में स्टाम्प कलेक्टर एवं मा० सी०सी०आर०ए० के पीठासीन अधिकारीगण के न्यायालयों में काफी संख्या में भारतीय स्टाम्प अधिनियम, 1899 के अन्तर्गत स्टाम्पवाद लम्बित हैं,इन वादों के त्वरित गति से निस्तारण से जहाँ राज्य को इंगित स्टाम्प कमी के सापेक्ष धनराशि शीघ्र प्राप्त हो सकेगी, वहीं सम्बंधित पक्षकारों को भी न्याय में विलम्ब के कारण बढ़ने वाली ब्याज की देयता से राहत प्राप्त होगी।
उक्त योजना निम्नवत् क्रियान्वित की जायेगी
1- सभी जनपद स्तरीय स्टाम्प कलेक्टर न्यायालयों एवं मा० सी०सी०आर०ए० के पीठासीन अधिकारी अपने न्यायालय में लम्बित समस्त स्टाम्पवादों स्टाम्प अपीलों एवं स्टाम्प निगरानियों में पक्षकारों को एक नोटिस भेजेंगे,समाधान योजना के लागू होने के पूर्व तक योजित किसी भी स्टाम्पवाद / स्टाम्प अपील एवं स्टाम्प निगरानी वाद में, यदि पक्षकार,स्टाम्प कमी की धनराशि को नियमानुसार देय ब्याज के साथ अदा करने का इच्छुक है, तो पक्षकार द्वारा संबंधित न्यायालय मा० सी०सी०आर०ए० में पीठासीन अधिकारी के समक्ष एक प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया जायेगा।संबंधित न्यायालय / मा० सी०सी०आर० के पीठासीन अधिकारी ऐसे प्रार्थना पत्र के प्राप्त होते ही संबंधित स्टाम्पवाद / स्टाम्प अपील एवं स्टाम्प निगरानी में एक सप्ताह के अन्दर विधि नियत करते हुए आवश्यक कार्यवाही करेंगे।
स्टाम्प कमी की धनराशि की पुष्टि के उपरान्त संबंधित न्यायालय / मा० सी०सी०आर०ए० उक्त नियत तिथि को पक्षकार को पुष्टि की गई स्टाम्प कमी की धनराशि तथा ब्याज एवं रु० 100/- के टीकन अर्थदण्ड की धनराशि को नियमानुसार एक सप्ताह में कोषागार में जमा कर, समाधान योजना के अन्तर्गत विनिश्चित की गई धनराशि जमा कराये जाने की रसीद के साथ स्टांप कमी की धनराशि एवं नियमानुसार देय ब्याज की धनराशि की अदायगी के उपरान्त न्यायालय / मा० सी०सी०आर०ए० के पीठासीन अधिकारी द्वारा प्रलेख पर स्टाम्प अधिनियम, 1899 की धारा 42 के अन्तर्गत प्रमाण पत्र अंकित करने के साथ ही यह वाद स्टाम्प प्रभार्यता के संबंध में अन्तिम रूप से निस्तारित माना जायेगा।
उपरोक्त समाधान योजना 31 मार्च, 2025 की अवधि तक प्रभावी रहेगी। किसी भी पक्षकार द्वारा इस अवधि में योजना के प्रभावी रहने की अन्तिम तिथि से पूर्व पुष्टि की गई स्टाम्प कमी की धनराशि नियमानुसार ब्याज एवं रु० 100/- के टोकन अर्थदण्ड की धनराशि के साथ जमा करने पर उसे इसका लाभ प्राप्त होगा।उपरोक्त योजना के अन्तर्गत न्यायालय/ मा० सी०सी०आर०ए० के पीठासीन अधिकारी को पक्षकार द्वारा प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किये जाने के एक माह के अन्तर्गत वाद का अन्तिम रूप से निस्तारण करना अनिवार्य होगा।

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