भारत रत्न रतन टाटा से लगभग 27 साल पहले ताजव्यू होटल में हुई थी एक छोटी सी मुलाकात
एलएस बघेल, आगरा 9 अक्टूबर। टाटा समूह के चेयरमैन रहे रतन टाटा से एक छोटी सी मुलाकात को स्मरण करते ही मन में सैकड़ों सवाल उठ खड़े होते हैं कि इतना बड़ा आदमी इतना मधुर एवं सरल स्वभाव भी हो सकता है। जी हां मैं बात कर रहा हूं भारत रत्न रतन टाटा की। जिन्होंने 9 अक्टूबर को इन दुनियां को अलविदा कह दिया। मुझे याद है कि वे वर्ष 1997 के आसपास टाटा समूह के होटल ताज व्यू के एक विंग के उद्घाटन के लिये आगरा आए हुए थे। इसी होटल में ठहरे थे।
उन दिनों मैं दैनिक जागरण समाचार पत्र आगरा का रिपोर्टर था। मेरे बास ने आदेश दिया कि टाटा समूह के चेयरमैन रतन टाटा आगरा आये हुए हैं। उनसे वार्ता करके आइये। मैं अपने टूटे से स्कूटर से होटल ताजव्यू पहुंचा। वहां के लाबी मैनेजर को मैंने बताया कि मैं दैनिक जागरण अखबार से आया हूं। मुझे श्री रतन टाटा जी से वार्ता करनी है। लाबी मैनेजर ने जवाब दिया कि मैं पता करता हूं। उन्होंने फोन से पता किया तो बताया कि अभी वे मीटिंग कर रहे हैं। इसके तुरंत बाद उनको जमशेदपुर जाना है। इसलिये मुलाकात मुश्किल है। मैंने निवेदन किया कि मैं अकेला रिपोर्टर यहां आया हूं। उन दिनों टीवी और सोशल मीडिया वाले होते ही नहीं थे। अखबार से भी मैं अकेला ही था। खैर इतनी ही देर में वे लिफ्ट से नीचे आये। वहीं मेरी मुलाकात रतन टाटा जी से हो गयी।
एकदम सरल स्वभाव, बिल्कुल तरोताजा लग रहे थे। मैंने परिचय दिया तो वे कहने लगे बताईये। खैर मैंने कुछ सवाल किये, जिनके उन्होंने बड़ी ही आसानी से जवाब दिये। इन सवालों में मैंने एक सवाल यह पूछा कि आपने शादी क्यों नहीं की तो वे बोले मुझे शादी के लिये वक्त ही नहीं मिला। और भी हल्की फुल्की बातें हुईं। इसी दौरान वे कहने लगे कि मेरा एक मिनट का समय भी बहुत कीमती है। मेरे पास समय बिल्कुल नहीं होता। मेरे आने-जाने के लिये खुद का हवाई जहाज रहता है। उसी मुलाकात में श्री टाटा ने बताया कि मुझे आगरा से जमशेदपुर जाना है। लौटकर बंबई पहुंचना है। इसके पश्चात लंदन जाना है। उन्होंने यह भी बताया कि साल में लगभग 6 महीने तो मैं विदेशों में ही रहता हूं। इतनी बातचीत भी उनसे लाबी से गाड़ी में बैठने के लिये जाते समय में ही हुई। उन दिनों मोबाइल का जमाना नहीं था कि तुरंत रिकार्ड करलो और फोटो खींच लो। वैसे हम रिपोर्टरों के साथ उन दिनों अखबार के कैमरामैन साथ हुआ करते थे लेकिन उस दिन वे कैंमरामैन साथी भी मेरे साथ नहीं थे। इसलिये फोटो भी नहीं खिंच पाये। हां इतना जरूर है कि एक चंद समय की मुलाकात जीवन भर के लिये मेरे ह्रदय में समा गयी।
एक कहावत है कि प्रभुता पाइ काहि मद नाहीं। लेकिन श्री रतन टाटाजी के साथ ऐसा बिल्कुल भी नहीं था। खैर मैंने अखबार के लिये खबर लिखी। मेरे बास ने भी मुझे सराहा। क्योंकि अगले दिन जब खबर छपी तो केवल हमारे अखबार दैनिक जागरण में थी। अन्य किसी अखबार में नहीं थी।
ऐसा ही एक वाकया प्रमुख साहित्यकार एवं ग्रांड होटल के मालिकान अरुण डंग ने बताया कि जब ये ताजव्यू होटल बन रहा था तो श्री टाटा आगरा आये हुए थे। उन्हें अच्छे मार्बल की जरूरत थी।वे श्री अशोक जैन के यहां पहुंचे। वहां पूछा कि यहां के मालिक कहां हैं। कर्मचारियों ने बताया कि वे नहीं हैं। इस पर श्री रतन टाटा अपना विजिटिंग कार्ड छोड़कर आ गये। श्री जैन ने जब यह कार्ड देखा तो वे भी चौंक गये कि टाटा समूह के चेयरमैन हमारे यहां आये थे। इसके अलावा वर्ष 2013 में भी वे आगरा आये थे ताजमहल देखा था। उद्योग जगत के लोगों के साथ बैठक की। जानेमाने उद्योगपति रतन टाटा का 9 अक्टूबर को निधन हो गया। पूरे देश में शोक श्रद्धांजलि दी जा रही हैं। ताज सिटी न्यूज डाट काम की ओर से मैं भी उनको विनम्र श्रद्धांजिल अर्पित करता हूं।