15 साल पहले जंगल से बरामद हुआ था अजमेर का शव, दो भतीजों पर दर्ज हुआ था केस
आगरा, 23 दिसंबर। जमीन के विवाद में अपने चाचा की हत्या एवं साक्ष्य नष्ट करने के मामले में आरोपित 75 वर्षीय भतीजे जदुवीर सिंह पुत्र महानन्द सिंह निवासी ग्राम मल्लका का पुरा, थाना मनसुखपुरा को डाक्टर की गवाही एवं अधिवक्ता के तर्कों पर अपर जिला जज परवेज अख्तर ने बरी कर दिया।
थाना मनसुखपुरा में दर्ज मामले कें अनुसार वादी मुकदमा चंद्रभान निवासी ग्राम विरजा का पुरा, थाना मनिया, जिला धौलपुर, राजस्थान ने थाने पर तहरीर देकर आरोप लगाया कि उसके मामा अजमेर सिंह पुत्र नवाब सिंह निवासी मल्लका पुरा थाना मनसुखपुरा, जिला आगरा का अपने भतीजों जदुवीर सिंह एवं लक्ष्मी कांत पुत्रगण महानन्द सिंह निवासी मल्लका पुरा से जमीन का विवाद चल रहा था।वादी के मामा अजमेर सिंह के 15/16 जनवरी 2009 की रात्रि अचानक घर से गायब होने की सूचना मिलने वादी एवं अन्य ने उनकी खोजबीन की। घटना के नौ दिन बाद वादी के मामा का शव मल्लका पुरा के जंगल में खाद के बोरे में चादर में बंधा मिला। वादी ने अपने मामा अजमेर सिंह की हत्या के शक में उनके भतीजों जदुवीर सिंह एवं लक्ष्मीकांत के विरुद्ध हत्या एवं साक्ष्य नष्ट करने के आरोप में मुकदमा दर्ज कराया।
अभियोजन की तरफ से वादी मुकदमा सहित दस गवाह अदालत में पेश किये गये घटना के प्रत्यक्षदर्शियों रघुराज सिंह एवं जुग राज सिंह के बयानों को रेखांकित कर आरोपी के वरिष्ठ अधिवक्ता दुर्ग विजय सिंह भैया ने अदालत को अवगत कराया कि उन्होंने अपनें बयानों में 15 जनवरी 2009 की सुबह पांच बजे आरोपी जदुवीर सिंह एवं लक्ष्मी कांत को सिर पर बोरा ले जाते देखने का कथन किया जबकि वादी मुकदमा चंद्रभान द्वारा अपने मामा अजमेर सिंह को 15/16 जनवरी 2009 की रात्रि गायब होने की एफआईआर में कथन किया।वहीँ मृतक अजमेर सिंह का पोस्टमार्टम करनें वाले डॉक्टर धर्मेंद्र सिंह ने बयान दिये की मृतक की म्रत्यु तीन दिन से पूर्व होना संभव नहीं है।
अपर जिला जज परवेज अख्तर ने आरोपी के वरिष्ठ अधिवक्ता दुर्ग विजय सिंह भैया के तर्क एवं डॉक्टर के बयान के आधार पर अपने चाचा की कथित हत्या के 75 वर्षीय आरोपी जदुवीर सिंह को परिस्थितिजन्य साक्ष्य के अभाव में बरी करने के आदेश दिये।