सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस गवई ने कहा, न्यायाधीशों की अनुचित आलोचना चिंताजनक

National

न्यूयॉर्क सिटी बार एसोसिएशन ओर से आयोजित एक अंतर-सांस्कृतिक परिचर्चा के दौरान सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस भूषण आर. गवई ने अदालती कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग के साथ छेड़छाड़ करने के तरीके पर सवाल खड़े किए। इस मुद्दे पर उनका गुस्सा भी छलक पड़ा। उन्होंने कहा कि किसी को भी निर्णयों की निष्पक्ष आलोचना पर आपत्ति नहीं है, लेकिन छेड़छाड़ की गई क्लिप के माध्यम से न्यायाधीशों की अनुचित आलोचना चिंताजनक है।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस भूषण आर गवई ने अदालती कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग से खिलवाड़ पर नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि जिस तरह की लापरवाही से कोर्ट की लाइव स्ट्रीमिंग को एडिट किया जाता है, ये बिल्कुल गलत है।

उन्होंने ये भी कहा कि किसी को भी फैसलों की निष्पक्ष आलोचना से कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन एडिट क्लिप के जरिए जजों की अनुचित आलोचना चिंताजनक है। न्यूयॉर्क सिटी बार एसोसिएशन की ओर से आयोजित एक क्रॉस-कल्चरल डिस्कसन में जस्टिस गवई ने ये बात कही।

जस्टिस गवई ने बताया कैसे बने सुप्रीम कोर्ट में जज

जस्टिस गवई ने इस मौके पर कई और मुद्दों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि संविधान में दलितों के उत्थान को लेकर सकारात्मक कार्रवाई का आदेश दिया है, इसी के कारण हाशिए पर रहने वाले समुदायों के सदस्य शीर्ष सरकारी पदों तक पहुंचने में सक्षम हुए हैं। उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया कि सुप्रीम कोर्ट में उनकी पदोन्नति दो साल पहले की गई थी क्योंकि वहां दलित समुदाय से कोई न्यायाधीश नहीं था।

हाशिये पर पड़े लोग अब पहुंच रहे शीर्ष पदों पर

परिचर्चा को संबोधित करते हुए जस्टिस गवई ने कहा कि जब उन्हें 2003 में बॉम्बे हाईकोर्ट में न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था, तो वह एक वरिष्ठ वकील थे। उस समय हाईकोर्ट में अनुसूचित जाति या दलित समुदाय से कोई न्यायाधीश नहीं था।

जस्टिस गवई ने कहा कि 2019 में सुप्रीम कोर्ट में उनकी नियुक्ति पूरी तरह से शीर्ष अदालत में अनुसूचित जाति को प्रतिनिधित्व देने के लिए की गई थी। ऐसा इसलिए क्योंकि शीर्ष अदालत में लगभग एक दशक से इस समुदाय से कोई न्यायाधीश नहीं था।

-एजेंसी

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *