महिलाओं के सामाजिक संगठन पीली सशक्त सेना के साथ गुरुवार को पुलिस मुख्यालय पहुंची एक महिला ने पुलिस के अधिकारियों को अपना दर्द बताया। उसने कहा कि बेटी पैदा होने पर शौहर ने उसे तीन तलाक देकर घर से बाहर निकाल दिया। शौहर सहित ससुरालीजन उसे पीटते थे, घर में बांधकर भूखा रखते थे। बेटे की चाह में उसका तीन बार गर्भपात कराया गया। उसका आरोप है कि पुलिस ने पीड़ित महिला की शिकायत पर शौहर समेत ससुरालियों के खिलाफ मुकदमा तो दर्ज कर लिया लेकिन आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की। पीली सशक्त सेना ने पीड़िता को इंसाफ न मिलने पर आमरण अनशन करने की धमकी दी है।
शिकायत के अनुसार, नई आबादी शाहगंज के नदीम खान की बेटी का निकाह 21 दिसंबर, 2013 को शहजादी मंडी सदर बाजार निवासी दानिश खान के साथ मय दान दहेज से हुआ था। शादी के बाद महिला को दो बेटियां पैदा हुईं। पीड़िता का आरोप है कि बेटियों को देख उसके पति और ससुरालीजनों का व्यवहार उसके प्रति बदल गया। आए दिन ससुराली उसके साथ मार पीट और बंधक बनाकर भूखा रखने लगे। इस बीच बेटे की चाह में महिला का तीन बार गर्भपात भी कराया गया। महिला का आरोप है कि बेटा न पैदा कर पाने के कारण पति ने दूसरे निकाह की तैयारी कर ली। ससुराली उस पर यह दवाब बनाने लगे कि अगर घर में बेटियों के साथ रहना है तो मायके से उनके पालन के लिए 25 लाख रुपये लेकर आओ। महिला ने इसका विरोध किया तो विगत 14 अप्रैल को उसके पति, सास, ससुर, ननद और परिजनों ने उसके साथ मारपीट की। उसका गला दबाकर मारने का प्रयास किया गया।
पीड़िता ने बताया कि इतना उत्पीड़न करने के बाद उसके पति ने तीन तलाक कह कर बेटियों सहित उसे घर से बाहर निकाल दिया। महिला ने तीन तलाक, दहेज, मारपीट की शिकायत पुलिस से की। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया, लेकिन अभी तक आरोपियों पर कोई कार्रवाई नहीं की। पुलिस उस पर समझौता कराने का दबाव बना रही है।
पीड़ित महिला इंसाफ के लिए पीली सशक्त सेना के साथ मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन लेकर पुलिस मुख्यालय पहुंची। उसने डीसीपी पुलिस से मुलाकात कर न्याय की मांग की। सशक्त सेना की अध्यक्ष शबाना खंडेलवाल ने बताया कि पुलिस आरोपियों से मिलकर पीड़ित महिला पर ही दबाव बना रही है। बेटी बचाओ के नारे व्यर्थ साबित हो रहे हैं। दो बेटियां पैदा होने पर पति ने तीन तलाक कह कर घर से निकाल दिया। थाना शाहगंज पुलिस सही से विवेचना नहीं कर रही है। उनकी मांग है की जांच किसी अन्य थाने द्वारा कराई जाए। अगर महिला और उसकी बेटियों को न्याय नहीं मिला तो उनकी सेना आमरण अनशन करने पर विवश होगी।