फतेहपुर सीकरी थाने में महामारी अधिनियम व धारा 188 के तहत दर्ज केस में मजिस्ट्रेट कोर्ट के फैसले को सत्र न्यायालय ने भी बरकरार रखा
आगरा: कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को एक बार फिर बड़ी राहत मिली है। वर्ष 2020 में दर्ज एक चर्चित मामले में कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अजय उर्फ लल्लू, पूर्व विधायक प्रदीप माथुर और पूर्व एमएलसी विवेक बंसल को सत्र न्यायालय (ADJ-19) से भी बरी कर दिया गया है। अदालत ने विशेष मजिस्ट्रेट एमपी/एमएलए कोर्ट द्वारा पारित पूर्ववर्ती आदेश को यथावत रखते हुए सरकार द्वारा दायर अपील को खारिज कर दिया।
क्या था मामला?
यह मामला 19 मई 2020 का है, जब कोविड महामारी के दौरान लॉकडाउन के सख्त निर्देशों के बीच फतेहपुर सीकरी थाने में एसआई जितेंद्र कुमार गौतम द्वारा मुकदमा दर्ज किया गया था। आरोप था कि इन नेताओं ने भरतपुर बॉर्डर से जबरन बसों का प्रवेश उत्तर प्रदेश में कराने की कोशिश की, जिससे लॉकडाउन के नियमों का उल्लंघन हुआ।
मामला भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 188 (सरकारी आदेश का उल्लंघन), धारा 269 (संक्रमण फैलाने वाला कार्य) और 3/4 महामारी अधिनियम के तहत दर्ज किया गया था।
मजिस्ट्रेट कोर्ट से मिली थी पहले राहत
इस मामले में 29 अप्रैल 2023 को विशेष मजिस्ट्रेट एमपी/एमएलए कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में तीनों नेताओं को बरी कर दिया था। अदालत ने पाया कि अभियोजन पक्ष ठोस और निर्णायक साक्ष्य पेश नहीं कर सका।
सरकार ने दायर की थी अपील
अभियोजन पक्ष / सरकार इस आदेश से संतुष्ट नहीं थी और उन्होंने इस निर्णय के विरुद्ध सत्र न्यायालय (एडीजे-19) में अपील दायर की थी।
सत्र न्यायालय ने भी माना – साक्ष्य नहीं
सुनवाई के दौरान कांग्रेस नेताओं के वरिष्ठ अधिवक्ता रमाशंकर शर्मा और अन्य अधिवक्ताओं ने मजिस्ट्रेट कोर्ट के निर्णय को सही ठहराते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष द्वारा कोई प्रत्यक्ष प्रमाण या ठोस गवाह प्रस्तुत नहीं किया गया, जिससे आरोप सिद्ध होते।
एडीजे-19 ने इन तर्कों से सहमति जताई और अपील खारिज करते हुए मजिस्ट्रेट कोर्ट का आदेश यथावत रखा, जिससे तीनों नेताओं को दूसरी बार न्यायिक राहत मिली है।
राजनीतिक पृष्ठभूमि में विशेष महत्व
यह फैसला कांग्रेस के लिए एक अहम राजनीतिक राहत के रूप में देखा जा रहा है, खासकर उत्तर प्रदेश में पार्टी की सक्रियता और आगामी चुनावी तैयारियों के परिप्रेक्ष्य में।
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