नेशनल एंटी डोपिंग एजेंसी की अनुशासन समिति के सदस्य ओलंपियन जगबीर सिंह ने कहा , खिलाड़ी बुखार की दवा भी डाक्टर से पूछकर लिया करें
एलएस बघेल, आगरा 2 मार्च। डोपिंग के दोषी खिलाड़ियों पर दो से चार साल तक का प्रतिबंध लगता है। ये कहना है नेशनल एंटी डोपिंग एजेंसी (नाडा) की अनुशासन समिति के सदस्य ओलंपियन जगबीर सिंह का। वे आज यहां एकलव्य स्टेडियम के हाकी मैदान पर इस संवाददाता से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा एंटी डोपिंग एजेंसी का काम केवल खिलाड़ियों को दंडित करना नहीं है बल्कि उन्हें सुधरने का मौका भी दिया जाता है। हमारे देश में पहले डोपिंग का दंश बहुत फैेला हुआ था। लेकिन अब नेशनल एंटी डोपिंग एजेंसी ने खिलाड़ियों को जागरूक किया है। जिसके चलते डोपिंग के मामलों में कमी आयी है।
दरअसल दिल्ली के नेहरू स्टेडियम में नाडा का आफिस है । उसमें डोपिंग के दोषी खिलाड़ियों के मामलों की सुनवाई होती है। इसमें डाक्टर, वकील के अलावा एक वरिष्ठ खिलाड़ी को अनुशासन समिति में नामित किया जाता है। मौजूदा अनुशासन समिति में ताजनगरी के निवासी ओलंपियन एवं भारतीय हाकी टीम के पूर्व कप्तान जगबीर सिंह भी हैं। वे पिछले दो साल से इस समिति के सदस्य हैं। उन्होंने बताया कि कमेटी की बैठक समय-समय पर होती रहती है। हाल ही में नेशनल चैंपियनशिप में एक महिला एथलीट डोपिंग की दोषी पायी गयी थी। उस एथलीट को तीन-चार दिन पहले ही अनुशासन समिति के समक्ष पेश किया गया था। उन्होंने कहा, इस तरह के डोपिंग के मामले आते रहते हैं। इनमें खिलाड़ी अपने वकील के माध्यम से भी अपना पक्ष रख सकते हैं।
नाडा की अनुशासन समिति के सदस्य ओलंपियन जगबीर सिंह ने खिलाड़ियों को सलाह दी है कि उनको अगर जुकाम, खांसी की भी दवा लेनी है तो चिकित्सक की राय से ही लें। उन्होंने यहां तक कहा कि ताकत, चुस्ती, फुर्ती बढ़ाने के लिए एक्सपर्ट की राय के बाद ही दवा आदि का खिलाड़ी सेवन करें। नाडा ने खिलाड़ियों को ये भी सहूलियत दी है कि अगर वे पहले बता दें कि उन्होंने अमुक मर्ज के लिए अमुक दवा ली थी तो भी नाडा उनको कंसीडर करता है। जगबीर सिंह ने कहा कि नाडा का काम केवल खिलाड़ियों को दंडित करना नहीं है। बल्कि उन्हें सुधारने के लिए देश भर में शिविरों का आयोजन किया जाता है। विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं में भी जागरूकता कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं। वाडा की वेबसाइट भी है। जिसमें खिलाड़ियों को यह बताया जाता है कि वे कौन सी दवा ले सकते हैं और कौन सी प्रतिबंधित हैे। खिलाड़ियों को बताया जाता है कि कंप्टीशन के समय नशीली दवा लेने से न वे केवल अपने आप को धोखा देते हैं बल्कि जो असली खिलाड़ी बेहतर खेलकर भी हार जाता है, उसके साथ अन्याय होता है। यही नहीं इन खिलाड़ियों का भविष्य भी चौपट हो जाता है। इसलिए खिलाड़ी नशीली दवाओं से दूर रहें। उन्होंने कहा कि जब अंतर राष्ट्रीय स्पर्धा में खिलाड़ी जीतने के बाद डोपिंग में फंस जाता है तो उससे देश की छवि धूमिल होती है। सरकार भी इस संंबंध में ध्यान दे रही है। उसी का परिणाम है कि पिछले पांच-सात सालों में डोपिंग के मामलों को लेकर खिलाड़ियों में जागरूकता आयी है। जिससे इस तरह के मामलों में भी कमी आयी है।
वैसे जो भी कंप्टीशन होता है, उसके विजेता खिलाड़ियों का डोपिंग टेस्ट होता है। नाडा की टीम किसी भी टूर्नामेंट में बिना बताये भी पहुंच जाती है। जिससे कि अचानक से डोपिंग के दोषी खिलाड़ियों को पकड़ा जा सके। जहां भी नेशनल कैंप लगते हैं, वहां नाडा जांच जरूर करती है। वैसे वे उत्तर प्रदेश के पहले खिलाड़ी हैं, जो कि इस मुकाम तक पहुंचे हैं। विशेषकर ताजनगरी के लिए यह सौभाग्य की बात है कि वे नेशनल लेबल पर एक बार फिर अपने शहर का नाम रोशन कर रहे हैं।